Category : संपादकीय
शिवसेना के कंधे पर सवार होकर BJP की भारी उड़ान
34 साल में ही बदल गया शिवसेना-बीजेपी का सीट शेयरिंग फॉर्मूला प्रहरी संवाददाता, मुंबई। महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर तीन दशक में काफी बदल चुकी है...
भाषा को लेकर हिंदुस्तानी नजरिया अपनाइए, हिंदुत्ववादी नहीं
वीरेंद्र यादव ‘हिंदी, हिंदू , हिंदुस्थान’ का नारा हवा हवाई नहीं था, इसमें सन्निहित थी हिंदू राष्ट्र की आकांक्षा, जो अब परवान चढ़ रही है।...
‘कफन’ को यहाँ से पढ़ें…प्रेमचंद जयंती पर विशेष
हिंदी में दलित विमर्श की आमद के साथ प्रेमचंद की कहानी ‘कफन’ लगातार बहस और विवाद के केंद्र में रही है. इस विवाद की शुरुआत...
एक व्यक्ति से अधिक, एक विचार थे राजेन्द्र यादव!
राजेन्द्र यादव एक व्यक्ति से अधिक एक विचार थे. हिंदी समाज में उनकी उपस्थिति वाल्टेयर सरीखी थी. वे अपनी अभिव्यक्ति में बेलाग और निडर थे....