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PM Awas Yojana Scam: प्रयागराज में ₹1,080 करोड़ का फर्जीवाड़ा, 9000 लोगों ने लिया लाभ

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  • योजनाओं के नाम पर यूपी में करोड़ों की बंदरबांट
  • छत वालों को मकान और मृतकों को पेंशन

✍🏻 डिजिटल न्यूज डेस्क, प्रयागराज। प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में प्रयागराज जिले से सामने आया एक बड़ा घोटाला अब जांच एजेंसियों और प्रशासन के रडार पर है। प्रधानमंत्री आवास योजना का मकसद था गरीबों को छत देना, लेकिन प्रयागराज में कुछ लोगों ने इसे कमाई का नया ज़रिया बना लिया। सरकार ने जिन्हें ‘बेघर’ समझा, वो दरअसल दोमंजिला घरों में चैन की नींद ले रहे थे, और ऊपर से 1.20 लाख रुपये की सरकारी मदद भी ले उड़े। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। जिस जिले में छत वालों ने छत के लिए पैसा ले लिया, वहां मर चुके लोगों की आत्माएं भी पेंशन उठा रही थीं। वृद्धावस्था पेंशन योजना में 2,351 ऐसे लाभार्थी पंजीकृत मिले, जिनका देहांत एक साल पहले हो चुका था। मगर उनके परिजन खामोशी से खाते में आती पेंशन उठाते रहे। महिला एवं बाल विकास विभाग की विधवा पेंशन योजना में भी करीब 100 महिलाएं दोबारा शादी कर चुकी थीं या चल बसी थीं, लेकिन उनके नाम पर ₹12 लाख रुपये की पेंशन जारी रही।

जिले में 9,000 से अधिक लोगों पर आरोप है कि उन्होंने योजना के तहत 1.20 लाख रुपये की सहायता राशि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्राप्त की, जबकि उनके पास पहले से पक्का मकान मौजूद था। इस योजना के तहत अब तक 1,08,00,00,000 रुपये से अधिक की धनराशि गलत तरीके से वितरित की जा चुकी है।

प्रशासन की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इन लाभार्थियों ने आवेदन में खुद को बेघर दिखाया, जबकि जमीन पर सच्चाई कुछ और थी। कई मामलों में दोमंजिला मकानों के मालिकों ने भी योजना का लाभ उठा लिया। इसके बाद अब जिला प्रशासन रिकवरी प्रक्रिया शुरू कर चुका है।

शंकरगढ़ ब्लॉक में ही 3,127 लाभार्थियों ने पहली किश्त मिलने के बाद एक भी ईंट नहीं रखी। स्थानीय सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि इन लाभार्थियों के पास पहले से पक्के मकान मौजूद थे और उन्हें नए मकान की आवश्यकता नहीं थी। मुख्य विकास अधिकारी हर्षिका सिंह के आदेश पर जांच शुरू की गई है और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी हो रही है। इसके साथ ही उन अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है, जिन्होंने इन आवेदनों को मंजूरी दी थी।

पीएम आवास योजना के तहत पात्र परिवारों को तीन किश्तों में कुल 1.20 लाख रुपये की सहायता दी जाती है, जिससे वह खुद का मकान बना सकें। लेकिन इस मामले में पहली किश्त के बाद ही गड़बड़ियों का पता चला, जिससे पूरे सिस्टम पर सवाल उठने लगे हैं।

इसी बीच, जिले में पेंशन योजनाओं में भी बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग की विधवा पेंशन योजना में 100 से ज्यादा महिलाओं ने या तो दोबारा विवाह कर लिया था या उनका निधन हो चुका था, फिर भी पेंशन जारी रही। विभाग के अनुसार इससे करीब 12 लाख रुपये की हानि हुई है।

वृद्धावस्था पेंशन योजना में 2,351 ऐसे मामले सामने आए, जिनमें लाभार्थी पिछले एक वर्ष में मृत हो चुके थे, लेकिन उनके परिजनों ने विभाग को सूचना नहीं दी और पेंशन खाते में आती रही। जिला समाज कल्याण अधिकारी राम शंकर ने बताया कि मौजूदा नियमों में ऐसी राशि की वापसी का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पेंशन योजनाओं में कुल 40 लाख रुपये से अधिक की गड़बड़ी पाई गई है। संबंधित विभागों ने इन मामलों की जांच शुरू कर दी है और दोषियों से वसूली की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है।

 

 


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