कांग्रेस ने लगाए महाराष्ट्र के मेगा प्रोजेक्ट्स में 1 लाख करोड़ रुपये की लूट का आरोप
✍🏻 प्रहरी संवाददाता, मुंबई। घोड़बंदर-भाईंदर सुरंग और एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट में 3,000 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद, महाराष्ट्र के अन्य प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) को पारदर्शिता की कमी के लिए फटकार लगाई थी।
महाराष्ट्र के हाईवे अब गड्ढों से नहीं, घोटालों से भरे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 14,000 करोड़ रुपये के घोड़बंदर- भाईंदर सुरंग प्रोजेक्ट की टेंडर प्रक्रिया पर सख्त टिप्पणी करते हुए MMRDA से जवाब तलब किया। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने 26 मई को टेंडर में पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद 30 मई को MMRDA ने टेंडर रद्द कर दिया।
मामले ने राजनीतिक रंग तब पकड़ा, जब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर 3,000 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया। सपकाल ने कहा कि टेंडर एक फिक्सिंग का हिस्सा था, जिसमें एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए दूसरे योग्य निविदाकार को तकनीकी आधार पर बाहर किया गया।
सपकाल ने दावा किया कि समृद्धि महामार्ग की लागत 67,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई, जिसमें 60,000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। उन्होंने पुणे रिंग रोड के 47,000 करोड़ रुपये का घोटाले का आरोप लगाया है। विरार-अलिबाग कॉरिडोर और शक्तिपीठ महामार्ग में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि MMRDA, म्हाडा, सिडको और SRA जैसे विभागों में पसंदीदा ठेकेदारों को ही टेंडर दिए जाते हैं और बाकियों को तकनीकी आधार पर बाहर कर दिया जाता है। उनका आरोप था कि इन संस्थाओं को एक ‘भ्रष्टाचार कॉरिडोर’ में तब्दील कर दिया गया है।
कांग्रेस का आरोप है कि इसी प्रणाली के ज़रिए सत्ता से जुड़े लोग टेंडर फिक्सिंग और कमीशन वसूली चला रहे हैं।
मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई, मीरा-भाईंदर, कल्याण-डोंबिवली समेत कई नगर निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति के जरिए योजनाओं पर सीधा नियंत्रण रखा जा रहा है।
कांग्रेस ने सभी मेगा प्रोजेक्ट्स की न्यायिक जांच की मांग की है और कहा है कि राज्य में भ्रष्टाचार का एक संगठित रैकेट काम कर रहा है।