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बॉर्डर पर ड्रैगन से सख्ती से निपटेगी आर्मी

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नई दिल्ली। चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के बीच तीनों सेनाओं को सतर्क कर दिया गया है। लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सशस्त्र बलों को चीन के किसी भी आक्रामक बर्ताव का ‘‘मुंह तोड़” जवाब देने की ‘‘पूरी आजादी” दी गई है। इसके साथ ही लड़ाई के लिए जरूरी हथियार और गोला बारूद की खरीदने के लिए प्रति प्रोजेक्ट 500 करोड़ रुपए तक का वित्तीय अधिकार भी दिया गया है।

सूत्रों ने बताया कि तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों को प्रति प्रोजेक्ट 500 करोड़ रुपए तक की खरीद का वित्तीय अधिकार दिया गया है। ये अधिकार फास्ट ट्रैक प्रोसीजर के तहत जरूरी हथियारों की खरीद के लिए दिए गए हैं। इससे सेना के लिए हथियारों और गोला बारूद की कमी को पूरा किया जा सकेगा।

रक्षा मंत्री के साथ इस बैठक में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर. के. एस. भदौरिया ने हिस्सा लिया। शीर्ष सैन्य अधिकारियों को जमीनी सीमा, हवाई क्षेत्र और रणनीतिक समुद्री मार्गों में चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए और चीनी सैनिकों के किसी भी दुस्साहस का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए ‘‘सख्त” रुख अपनाने को कहा है।

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ पिछले कई दिनों से जारी तनातनी को देखते हुए सेनाओं को यह वित्तीय अधिकार देने की जरूरत महसूस की गई। चीन से लगी करीब 3500 किमी सीमा पर भारी संख्या में सैनिकों को तैनात किया गया है। इन वित्तीय अधिकारों का सबसे अधिक फायदा एयरफोर्स को हुआ है। स्पाइस-2000 एयर टु ग्राउंड स्टैंड ऑफ मिसाइल, स्ट्रम अटाक एयर टु ग्राउंड मिसाइल के साथ-साथ हवा से हवा में मार करने वाली कई मिसाइलें भी खरीदी गई हैं।


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