आवधिक प्रदर्शन की समीक्षा के बाद मोदी सरकार ने जारी किया नया फरमान
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हाल ही में सरकारी कर्मचारियों के आवधिक प्रदर्शन की समीक्षा की। 28 अगस्त को एक अहम फैसला लिया गया, जिसके बाद 50 से 55 वर्ष के 49 लाख सरकारी कर्मचारियों पर बेरोजगारी की तलवार लटकने लगी है। सरकार ने साफ कर दिया है आवधिक समीक्षा को अब सख्ती से लागू किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर जनहित में कर्मचारियों को पहले ही रिटायर कर दिया जाएगा।
सभी मंत्रालयों को भेजा गया पत्र
इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से सभी मंत्रालयों को एक पत्र भेजा गया है। इस पत्र के माध्यम से बताया गया कि सरकारी काम में तेजी और प्रशासन में दक्षता लाने के लिए कर्मचारियों को पहले रिटायर किया जा सकता है। इसके लिए एफआर और सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 में प्रावधान भी है। केंद्र सरकार के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट भी इस संबंध में फैसला दे चुका है। साथ ही पूर्व रिटायरमेंट को जबरन रिटायरमेंट से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
जबरन रिटायरमेंट को लेकर नया आदेश
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने अपने ज्ञापन में कहा कि मौलिक नियम (एफआर) (560) 1 (एल) और सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के नियम 48 का उद्देश्य प्रशासनिक मशीनरी को मजबूत करना है। उसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि इन नियमों के तहत सरकारी कर्मचारियों की समय से पहले सेवानिवृत्ति दंड नहीं है। यह अनिवार्य सेवानिवृत्ति से अलग है। सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी भी कर्मचारी को एफआर 56(जे)/रूल्स-48 (1) (बी)ऑफ सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 नियम के तहत रिटायर कर सकती है। अगर कोई कर्मचारी जनहित के लिए बहुत आवश्यक है, तो ये नियम उस पर लागू नहीं होगा।
तीन महीने की एडवांस सैलरी
वहीं इस प्रावधान के तहत रिटायर किए जा रहे कर्मचारियों को तीन माह का वेतन दिया जाएगा। कुछ मामलों में सरकार या विभाग उन्हें तीन महीने पहले नोटिस देकर भी रिटायर कर सकते हैं। आदेश के मुताबिक सभी विभाग एक लिस्ट तैयार करेंगे, जिसमें उन कर्मचारियों का नाम होगा, जिसकी उम्र 50 व 55 से ज्यादा है या फिर जो 30 साल की सेवा पूरी कर चुके हैं। समय-समय पर इन कर्मचारियों के काम की समीक्षा की जाएगी। वहीं रूल्स-48 (1) (बी) ऑफ सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 नियम के तहत किसी भी कर्मचारी को, जिसने तीस साल की सेवा पूरी कर ली है, उसे भी सेवानिवृत्ति दी जा सकती है। इस श्रेणी में वे कर्मचारी शामिल होते हैं, जो पेंशन के दायरे में आते हैं।