✍🏻 प्रहरी संवाददाता, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्यप्रणाली पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि एजेंसी का इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाइयों के लिए नहीं होना चाहिए। यह टिप्पणी उस समय आई जब अदालत ने कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम. पार्वती और राज्य मंत्री बायरथी सुरेश के खिलाफ ईडी समन रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली ईडी की अपील खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की दलीलों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। सीजेआई ने कहा, “राजनीतिक लड़ाइयाँ जनता के बीच लड़ी जानी चाहिए, इसके लिए ईडी का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है?”
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की अपील यह कहते हुए खारिज कर दी कि हाईकोर्ट के आदेश में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है और मामले की परिस्थितियों को देखते हुए हस्तक्षेप की जरूरत नहीं।
उधर, मद्रास हाईकोर्ट ने भी ईडी की कार्यशैली पर कड़ा रुख अपनाया। जस्टिस एमएस रमेश और वी. लक्ष्मीनारायणन की पीठ ने कहा कि ईडी कोई ‘सुपर कॉप’ नहीं है और उसे मनमानी करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ईडी तभी कार्रवाई कर सकती है जब पीएमएलए की अनुसूची में शामिल अपराध के तहत संपत्ति या आय अर्जित की गई हो।
ईडी द्वारा आरकेएम पावरजन की 901 करोड़ की एफडी फ्रीज़ किए जाने को अदालत ने अवैध ठहराया। कोर्ट ने कहा कि जब तक अपराध से अर्जित आय का स्पष्ट संबंध न हो, तब तक ईडी की कार्रवाई उचित नहीं मानी जा सकती।