डिजिटल न्यूज डेस्क, बालेश्वर। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (वीएलएसआरएसएएम) के एक के बाद एक सफल उड़ान परीक्षण किए हैं। लगातार दूसरा परीक्षण 13 सितंबर 2024 को ओडिशा के चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से किया गया। डीआरडीओ ने 12 सितंबर को दोपहर 3.18 बजे जमीन से हवा में प्रहार करने वाली घातक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था।
सतह से हवा में अटैक
सतह से हवा में मार करने वाली इस मिसाइल की खासियत यह है कि यह दुश्मन की रडार की पकड़ में नहीं आती। यह पलक झपकते ही दुश्मन के किसी भी हवाई खतरे को तहस-नहस करने में कामयाब रहती है।
इस मिसाइल की मारक क्षमता 80 किलोमीटर तक है। भारतीय डीआरडीओ ने वर्टिकली लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल का सफल परीक्षण कर अपने स्वदेशी ज्ञान कौशल का एक उत्तम नमूना पेश किया है।
जंगी जहाज और जमीन पर हो सकेगी इस्तेमाल
यह मिसाइल संपूर्ण रूप से स्वदेशी है। नौसेना के जंगी जहाज में इसे वर्टिकल लॉन्च सिस्टम में लगाया जाता है, इसलिए इसे वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल भी कहते हैं। इसका इस्तेमाल जमीन से भी किया जा सकता है।
डीआरडीओ ने भारत की तीनों सेनाओं जल, थल और वायु को ताकतवर बनाने की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है। नई और पुरानी मिसाइल का आधुनिकरण कर डीआरडीओ भारतीय सेना के लिए इस तरह के मिसाइल परीक्षण करता है।
मिसाइल ने सटीक निशाना बनाया
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा भारतीय नौसेना ने ओडिशा के चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया। वर्टिकल लॉन्चर से दागी गई मिसाइल की मदद से तेज गति वाले हवाई लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह औऱ रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने सफल उड़ान परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, भारतीय नौसेना एवं सभी संबद्ध टीमों की सराहना की और कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकियों से लैस यह मिसाइल सशस्त्र बलों की तकनीकी क्षमता को और अधिक संवर्द्धित करेगी।