महिला नेता को मिल सकता है अध्यक्ष बनने का मौका, गुटबाजी खत्म करने का तरीका
प्रहरी संवाददाता, मुंबई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति मार्च के अंत तक होने की संभावना है, जबकि इसे जनवरी तक पूरा हो जाना चाहिए था। दिल्ली विधानसभा चुनाव को कारण बताकर इस प्रक्रिया को टाला गया, लेकिन अब कहा जा रहा है कि होली के बाद बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। हालांकि नए अध्यक्ष के चयन में होने वाली देरी के पीछे पार्टी के अंदर गहराती गुटबाजी एक बड़ी वजह बनकर सामने आई है।
बीजेपी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के रेस में जी. किशन रेड्डी, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, मनोहर लाल खट्टर, शिवराज सिंह चौहान और डी. पुरंदेश्वरी जैसे कई बड़े नेता बताए जा रहे हैं. आने वाले महीनों में बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और दक्षिण भारत के राज्यों तमिलनाडु और केरल में चुनाव होने हैं. उससे पहले बीजेपी में नये अध्यक्ष को लेकर घमासान मचा हुआ है। बताया जा रहा है कि इस बार किसी महिला को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है।
गुटबाजी बनी सबसे बड़ी बाधा
देश के कई राज्यों में भाजपा के अंदर नेतृत्व को लेकर घमासान मचा हुआ है, जिससे संगठन चुनाव बाधित हो रहे हैं। झारखंड, मध्यप्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में गुटबाजी चरम पर है। वहीं, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुट और अन्य नेताओं के बीच संघर्ष जारी है, जिससे वहां भी संगठन चुनाव नहीं हो सके हैं।
संवैधानिक प्रक्रिया में अड़चन
भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले पार्टी के कम से कम 50% प्रदेश संगठनों में चुनाव कराना अनिवार्य है। लेकिन मौजूदा हालात में भाजपा के 36 प्रदेश संगठनों में से केवल 12 में ही चुनाव हो पाए हैं, जबकि नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए न्यूनतम 18 प्रदेशों में यह प्रक्रिया पूरी होनी जरूरी है।
भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण दौर
सूत्रों के मुताबिक, कई राज्यों में संगठन चुनाव कराना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। पार्टी के अंदरूनी मतभेद और गुटबाजी के चलते प्रदेश इकाइयों में असंतोष बढ़ रहा है, जिसका असर राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर पड़ रहा है।
आगे की राह
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह राज्यों में संगठन चुनावों को शीघ्रता से पूरा कर राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति सुनिश्चित करे। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए पार्टी को संगठनात्मक मजबूती की आवश्यकता है, ताकि गुटबाजी को खत्म कर चुनावी तैयारियों को गति दी जा सके।