✍🏻 प्रहरी डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) अधिकारी समीर वानखेड़े के प्रमोशन को लेकर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने तथ्यों को छिपाने के लिए केंद्र पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि सरकार से उम्मीद की जाती है कि वह न्यायालय के समक्ष पूरी ईमानदारी से सभी तथ्य रखे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने केंद्र की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह जरूरी है कि ऐसा संदेश दिया जाए कि सत्य छिपाने की कीमत चुकानी पड़ेगी। मामला सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) के उस आदेश से जुड़ा है, जिसमें ट्रिब्यूनल ने वानखेड़े की पदोन्नति प्रक्रिया में रोका गया “सील कवर” खोलने का निर्देश दिया था। CAT ने कहा था कि यदि UPSC अनुशंसा करे, तो उन्हें जनवरी 2021 से जॉइंट कमिश्नर बनाया जाए।
केंद्र ने इस आदेश को चुनौती दी थी, पर हाई कोर्ट ने अगस्त 2025 में याचिका खारिज कर दी। बाद में पुनर्विचार याचिका दायर कर यह दलील दी गई कि विभागीय कार्रवाई शुरू की गई थी। लेकिन कोर्ट ने पाया कि CAT ने पहले ही उस कार्रवाई पर रोक लगाई थी और यह तथ्य सरकार ने छिपा लिया।
वानखेड़े के वकील ने तर्क दिया कि केंद्र झूठे बहाने बनाकर पदोन्नति रोकने की कोशिश कर रहा है, जबकि उनके खिलाफ कोई चार्जशीट या निलंबन नहीं है। कोर्ट ने इस दलील को स्वीकारते हुए केंद्र की अर्जी नामंजूर कर दी।