डिजिटल न्यूज डेस्क, छपरा। बिहार के मधुबनी से मुंबई की ओर जा रहे एक दस वर्षीय मासूम बच्चे, आयुष कुमार कामत की जिंदगी, पवन एक्सप्रेस के एक पैंट्री कार मैनेजर की त्वरित कार्रवाई और इंसानियत की बदौलत बच गई। 4 अक्टूबर, 2025 को आयुष अपने पिता प्रदीप कुमार कामत को बताए बिना घर से भाग आया था और 11062 पवन एक्सप्रेस में बैठ कर मुंबई रवाना हो गया।
जैसे ही आयुष के माता-पिता को इस घटना का पता चला, उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उन्होंने तुरंत रेलवे आरपीएफ राणा झा (साकरी-स्टेशन) से संपर्क किया। आरपीएफ ने बिना एक पल गंवाए, बच्चे की फोटो और जानकारी पवन एक्सप्रेस के पैंट्री कार मैनेजर मोहम्मद अजहर फ़रीद को भेज दी।
मैनेजर अजहर फ़रीद ने अपनी ड्यूटी छोड़, तुरंत मानवता का धर्म निभाया। उन्होंने पूरी ट्रेन में, हर कोच में आयुष की तलाश शुरू कर दी। घंटों की मशक्कत के बाद, आख़िरकार अजहर फ़रीद ने आयुष को जनरल कोच के अंतिम छोर से ढूंढ निकाला। भय और भूख से कांप रहे बच्चे को उन्होंने तुरंत अपने पैंट्री कैबिन में लाकर तसल्ली दी और खाना खिलाया।
अगले ही पड़ाव, छपरा रेलवे स्टेशन पर, अजहर फ़रीद ने बच्चे को स्टेशन मास्टर को सौंप दिया और उसके माता-पिता को सूचना दी। 5 अक्टूबर की सुबह 8 बजे, खुशी के आंसुओं के बीच स्टेशन मास्टर ने आयुष को उसके माता-पिता के हवाले किया।
मोहम्मद अजहर फ़रीद ने एक मासूम की ज़िन्दगी बचाकर न सिर्फ़ अपनी ड्यूटी निभाई, बल्कि निःस्वार्थ सेवा और मानवीय जज़्बे की एक अमर मिसाल पेश की है, जिसकी सराहना हो रही है। आयुष अब अपने परिवार के साथ सही-सलामत है।