ताज़ा खबर
OtherPoliticsTop 10ऑटोटेकताज़ा खबरराज्यलाइफस्टाइल

रेलवे का किराया प्रीमियम, लेकिन सुरक्षा ‘लोकल’ ही रह गई है!

Share

✍🏻 प्रहरी संवाददाता, मुंबई। मुंबई की लोकल ट्रेनें देश की धड़कन कही जाती हैं, लेकिन अब यही धड़कन रुक-रुककर चल रही है — कभी सिस्टम की लापरवाही से, तो कभी सरकार की उदासीनता से। सोमवार सुबह का हादसा इसका ताजा नमूना है, जिसमें मुंब्रा स्टेशन के पास 12 यात्री चलती ट्रेन से नीचे गिर पड़े और उनमें से 5 की मौत हो गई। कहने को रेलवे ‘विकास की पटरी’ पर दौड़ रहा है, मगर असलियत यह है कि यात्रियों की जिंदगी रोज पटरी पर दांव पर लगी है।

रेलवे बोर्ड अब जागा है और कह रहा है कि अब से लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक दरवाजे होंगे। सवाल ये है कि कितनी जानें गंवाने के बाद उन्हें यह ‘बेसिक’ बात समझ आती है? हर हादसे के बाद घोषणाओं का पुलिंदा तैयार होता है, और फिर वही ‘यथास्थिति’। ट्रेनें ठूंस-ठूंस कर भरी, लटके हुए यात्री, और ‘भगवान भरोसे’ यात्रा।

बीजेपी सरकार कहती है कि उन्होंने रेलवे में अभूतपूर्व निवेश किया है। सच ये है कि किराया जरूर अभूतपूर्व बढ़ा है। सीजन टिकट से लेकर प्लेटफॉर्म टिकट तक सब महंगे हुए हैं। मगर सुविधाएं वहीं की वहीं हैं। न स्टेशन सुधरे, न कोच बदले, और न ही भीड़ के अनुपात में ट्रेनें बढ़ाई गईं। लोकल ट्रेन की भीड़ पर सरकारी मौन शर्मनाक है। ये सिर्फ़ प्रशासनिक विफलता नहीं, ये शासन की अमानवीयता है। एक ऐसी सत्ता, जो जनता को सिर्फ़ टैक्स भरने वाला डेटा पॉइंट समझती है, इंसान नहीं।

हर साल मुंबईकर विकास के नाम पर चूना खाते हैं। स्मार्ट कार्ड आएगा, स्टेशन मॉडर्न बनेंगे, CCTV से निगरानी होगी… लेकिन जब हादसा होता है, तो न स्मार्ट कार्ड काम आता है, न मॉडर्न स्टेशन, न CCTV। सब ‘पेपर प्रोजेक्ट’ में ही अटके रह जाते हैं।

लोकल ट्रेनों का 15-20 मिनट लेट होना अब सिस्टम की नियमित बीमारी बन गई है। 'विकास' के भाषणों में तेज रफ्तार बुलेट ट्रेन उड़ती है, लेकिन ज़मीन पर लोकल ट्रेनें रेंगती हैं। हर लोकल की छत और दरवाज़े से लटकती भीड़ अब सरकार के उस विकास मॉडल पर एक करारी टिप्पणी है, जो सिर्फ़ वादों और पोस्टरों पर टिका है। जब तक ठेकेदारों की जेबें भरती रहेंगी, और यात्रियों की लाशें पटरियों पर गिरती रहेंगी, तब तक इस देश में ट्रेनें नहीं, व्यवस्था पटरी से उतरती रहेंगी। मुंबई की लोकल अब सिर्फ एक यात्रा नहीं, एक जुआ बन चुकी है,  जिसमें दांव पर है आम आदमी की जान। 

 


Share

Related posts

पानी, खून और व्यापार—अब भारत की शर्तों पर: मोदी का पाकिस्तान को कड़ा संदेश

samacharprahari

अमेरिका ने किया हाइपरसोनिक एयर-लॉन्च रैपिड रिस्पांस वेपन का परीक्षण

Prem Chand

50 साल बाद फिर चांद पर उतरेगा इंसान

samacharprahari

राज्य पुलिस में 12500 पुलिसकर्मियों की होगी भर्ती

samacharprahari

‘स्वस्थ भारत’ और ‘मजबूत बुनियाद’ पर रफ्तार पकड़ेगी अर्थव्यवस्था

samacharprahari

रोजर फेडरर ने टेनिस को कहा अलविदा

Prem Chand