✍🏻 डिजिटल न्यूज डेस्क, मुंबई | घर हक परिषद के माध्यम से 31 संगठनों ने मुंबई की बंद पड़ी मिलों और कारखानों की पूरी जमीन पर मूल निवासियों और मिल के पूर्व कामगारों के लिए सस्ते और अधिकारिक घरों की मांग को लेकर संयुक्त संघर्ष की घोषणा की है। गांधी भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष विश्वास उटगी ने कहा कि मूलनिवासी अपने हक का घर मुंबई में ही चाहते हैं और वे शेलू-वांगणी जैसी दूरस्थ जगहों पर नहीं जाएंगे।
उटगी ने कहा कि सरकार उद्योगपतियों को जमीन देने में उदार है, जबकि मजदूरों, झोपड़पट्टीवासियों और किरायेदारों के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। मिल और कारखानों की केवल 33 प्रतिशत नहीं, बल्कि पूरी जमीन पर मजदूरों को घर दिए जाएं।
उन्होंने बताया कि 1.10 लाख मिल मजदूरों में से पिछले 25 वर्षों में सिर्फ 15 हजार मिल मजदूरों को ही घर मिले हैं। शेलू और वांगणी में घर अलॉट करने वाले 2019 के शासकीय निर्णय को रद्द करने की भी मांग की गई है।
परिषद द्वारा 23 नवंबर से आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। पहली सभा दहिसर में, दूसरी कांजूरमार्ग में और आगे ठाणे व पनवेल सहित अन्य शहरों में आयोजित की जाएगी। इस अभियान में सभी राजनीतिक दलों से समर्थन मांगा जाएगा।
