कांग्रेस को बिहार में करारा झटका, राष्ट्रीय पार्टी के सामने अस्तित्व बचाने का संकट
✍🏻 प्रहरी डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली | बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस के लिए एक बार फिर निराशा की कहानी लिख दी है। राज्य की 243 सीटों में एनडीए अभूतपूर्व बढ़त के साथ सत्ता की ओर बढ़ रहा है, जबकि कांग्रेस सिर्फ 4 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है। चुनावी तस्वीर साफ होने के साथ ही महागठबंधन 35 सीटों के आसपास रुक गया है और कांग्रेस का प्रदर्शन उसके लिए एक और बड़ा झटका बन गया है।
एनडीए को 2020 के मुकाबले 70 से अधिक सीटों का लाभ मिल रहा है। वहीं महागठबंधन भारी नुकसान झेल रहा है। कांग्रेस के पास 4 सीटों का आंकड़ा इस बात का संकेत है कि राज्य में पार्टी का संगठन और जनाधार लगातार कमजोर होता जा रहा है। यह हार कांग्रेस के लिए नई नहीं है, बल्कि पिछले एक दशक का ट्रेंड इसी ओर इशारा करता रहा है।
इलेक्शन कमीशन के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 से 2025 के बीच देश में कुल 66 पूर्ण विधानसभा चुनाव हुए। इनमें कांग्रेस सिर्फ 8 चुनाव जीत सकी, जबकि 58 बार हार का सामना करना पड़ा। औसत वोट शेयर करीब 19 प्रतिशत रहने के बावजूद कांग्रेस का सीट कन्वर्ज़न लगातार कमजोर बना रहा। कई राज्यों में पार्टी या तो सिमट गई या पूरी तरह साफ हो गई।
बीते वर्षों के चुनावों पर नजर डालें तो वर्ष 2025 में बिहार और दिल्ली में कांग्रेस कमजोर रही। दिल्ली विधानसभा में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। वर्ष 2024 के विधानसभा चुनावों में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में कांग्रेस लगभग गायब रही। हरियाणा, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस का प्रदर्शन उम्मीद से बहुत नीचे रहा। ओडिशा और झारखंड में कुछ सीटें मिलीं, लेकिन प्रभाव सीमित ही रहा।
साल 2023 के नौ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए सबसे बेहतर नतीजे कर्नाटक और तेलंगाना से मिले, जहां पार्टी ने सरकारें बनाईं। लेकिन मेघालय, नागालैंड और मिजोरम जैसे राज्यों में कांग्रेस बेहद कमजोर पड़ी। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा और भाजपा ने बढ़त बनाई।
वर्ष 2022 के चुनावों में पंजाब के अलावा किसी भी राज्य में कांग्रेस मजबूत प्रदर्शन नहीं कर सकी। उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर और गुजरात में पार्टी की मौजूदगी बेहद सीमित रही। हिमाचल में जीत जरूर मिली, लेकिन उसकी लय अन्य राज्यों में नहीं दिखी।
वर्ष 2019 और वर्ष 2020 के विधानसभा चुनावों में भी यही पैटर्न जारी रहा। आंध्र प्रदेश, अरुणाचल, सिक्किम, नागालैंड और दिल्ली जैसे राज्यों में कांग्रेस न के बराबर सीटें ला पाई। झारखंड और महाराष्ट्र में गठबंधन के सहारे कुछ सीटें आईं, लेकिन स्वतंत्र रूप से बढ़त नहीं बन सकी।
वर्ष 2014 से वर्ष 2018 के चुनावों पर नजर डालें तो कुछ राज्यों में कांग्रेस को सत्ता मिली, जैसे पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, लेकिन यह सफलता लंबे समय तक नहीं टिक सकी। वहीं कई राज्यों में कांग्रेस का ग्राफ नीचे जाता रहा।
बिहार की वर्तमान हार इन 11 वर्षों की लंबी चुनावी गिरावट का हिस्सा बन गई है,जहां पार्टी का स्कोर एक बार फिर 4 पर ठहरा है।
