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‘घर के गहने’ बेचने के आरोप गलत, विनिवेश की स्पष्ट नीति बनाई हैः सीतारमण

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मुंबई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण को लेकर विपक्ष के लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि सरकार ने पहली बार विनिवेश की स्पष्ट नीति तैयार की है। उन्होंने कहा कि हमारा इरादा करदाताओं के पैसे को बुद्धिमता के साथ खर्च करने का है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार चाहती है कि निर्दिष्ट क्षेत्रों में कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम अच्छा प्रदर्शन करें, ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि करदाताओं का पैसा सोच-समझकर खर्च हो। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार घर के गहने बेचे जा रही है।
वित्त मंत्री ने कहा कि घर के जेवर को ठोस बनाया जाता है, इसे हमारी ताकत होनी चाहिए। सरकार का उद्देश्य ठोस नीति के माध्यम से सरकार के सभी उपक्रमों को सक्षम बनाना है। इस मौके पर हिंदुस्तान यूनिलीवर के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने कहा कि बजट 2021-22 राहत, वसूली और सुधार पर ध्यान केंद्रित करने वाला ‘न्यू डील’ का भारतीय संस्करण है। बीएसई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी आशीषकुमार चौहान ने कहा कि इस बजट की तुलना में सिर्फ 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा प्रस्तुत सुधार दस्तावेज ही खड़ा हो सकता है।

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कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दिखाए काले झंडे

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने केन्द्रीय बजट 2021-22 और ईंधन की कीमत में बढ़ोतरी के खिलाफ रविवार को प्रदर्शन करते हुए मुंबई के दौरे पर आईं केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को काले झंडे दिखाए। हालांकि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को उस स्थान के निकट जाने से रोक दिया जहां सीतारमण को जाना था। वित्त मंत्री दादर में योगी सभा गृह पहुंचीं थीं। उसी दौरान कांग्रेस के लगभग 400 से 500 कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। कांग्रेस ने केन्द्रीय बजट और पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस सिलेंडरों जैसी आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ रेल किराए में वृद्धि के खिलाफ भी नारेबाजी की। पुलिस उपायुक्त (जोन-4) विजय पाटिल ने कहा, ”प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा। किसी अप्रिय घटना की जानकारी नहीं मिली है। किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है और न ही कोई प्राथमिकी दर्ज की गई है।” मुंबई महिला कांग्रेस की महासचिव सना कुरेशी ने दावा किया कि कोविड-19 महामारी के चलते आम जनता और गरीब लोग अपना रोजगार खो रहे हैं। आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतें आम आदमी की कमर तोड़ देंगी। बजट ने आम आदमी को कोई राहत नहीं दी है।


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