भारत के 254 करोड़पतियों ने लंदन में बसने के लिए किया ‘गोल्डन वीजा’ रूट का इस्तेमाल
मुंबई। यूनिइटेड किंगडम स्थित एक भ्रष्टाचार विरोधी चैरिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2008 में ‘गोल्डन वीजा’ रूट खुलने के बाद से भारत के कुल 254 करोड़पतियों ने इसका इस्तेमाल किया है। यूके में बड़े निवेश के जरिए ब्रिटेन में बसने के लिए उद्योगपतियों ने इस रूट का उपयोग किया है।
भ्रष्टाचार पर स्पॉटलाइट ने कहा कि टियर 1 (निवेशक) वीजा का लाभ उठाने वाले भारतीयों को सुपर-रिच की सातवीं राष्ट्रीयता के रूप में स्थान दिया गया है। वर्ष 2008 और वर्ष 2020 के बीच ऐसे उद्योगपतियों की संख्या 254 तक पहुंच गई। इस लिस्ट में चीन 4,106 के साथ टॉप पर है। इसके बाद रूस (2,526), हांगकांग (692), अमेरिका (685), पाकिस्तान (283) और कजाकिस्तान (278) के उद्योगपति भारतीय उद्योगपतियों से आगे हैं। इसके अलावा, सऊदी अरब के 223, तुर्की के 221 और मिस्र के 206 उद्योगपतियों ने भी इस रूट का इस्तेमाल किया है।
रेड कार्पेट फॉर डर्टी मनी नाम की रिपोर्ट में कहा गया है कि गोल्डन वीजा अमीर धनकुबेरों को यूके में रहने का अधिकार लेने की अनुमति देता है। हालांकि इसके लिए धनकुबेरों को यूके की पंजीकृत कंपनियों में भारी भरकम निवेश करने की शर्त को पूरा करना पड़ता है। लगभग 2-10 मिलियन पाउंड का निवेश करने वाले धनकुबेरों को को तीन साल के लिए यूके में रहने का तत्काल अधिकार मिल जाता है, इसके बाद दो साल का विस्तार भी होता है।
