गुजरात सरकार ने फैक्ट्रियों को मजदूरों से बिना मजदूरी के ओवरटाइम कराने की दी थी छूट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से गुजरात सरकार को करारा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार के उस नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया है, जिसमें सरकार ने फैक्टरी मालिकों को यह छूट दी थी कि वे मजदूरों को बिना पेमेंट के ही ओवरटाइम करा सकती हैं। मजदूरी का भुगतान किए बिना अतिरिक्त काम कराने के इस निर्णय का विरोध हो रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई और कहा कि महामारी वैधानिक प्रावधानों को दूर करने और श्रमिकों को उचित मजदूरी का अधिकार प्रदान नहीं करने का कारण नहीं हो सकती है। अदालत ने गुजरात सरकार को अप्रैल से श्रमिकों को ओवरटाइम का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
बता दें कि गुजरात सरकार ने पिछले दिनों एक आदेश जारी किया था, जिसके मुताबिक मजदूरों को ओवरटाइम के भुगतान के बिना हर दिन 3 घंटे अधिक श्रम करने के लिए कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए कहा है कि महामारी को राष्ट्र की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाला आंतरिक आपातकाल नहीं कहा जा सकता है और इसलिए यह कानून की आवश्यकताओं को पूरा करने का एक कारण है। उन्होंने कहा कि मंदी का पूरा बोझ अकेले श्रमिकों पर नहीं डाला जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि महामारी के लिए श्रमिकों पर बोझ करना एक उपयुक्त प्रतिक्रिया नहीं है। उचित वेतन, रोजगार के अधिकार और जीने के अधिकार का हिस्सा है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की तीन जजों की पीठ ने यह फैसला सुनाया। गुजरात मजदूर सभा ने राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी थी।