नई दिल्ली। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी.के. यादव ने शनिवार को कहा कि अगर महाराष्ट्र में जमीन के अधिग्रहण में देरी होती है तो रेलवे मुंबई-गुजरात हाई स्पीड ट्रेन को चरणबद्ध तरीके से चलाने के लिए तैयार है। देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना पर गुजरात में पूरी रफ्तार से काम चल रहा है, लेकिन महाराष्ट्र में इसमें कई तरह की अड़चनें आ रही हैं।
किसान संगठन कर रहे हैं विरोध
बता दें कि महाराष्ट्र में अभी तक केवल 26 फीसदी जमीन का ही अधिग्रहण हुआ है। यहां किसान संगठन और राज्य सरकार इस परियोजना का विरोध कर रही हैं। इस प्रोजेक्ट के साल 2024 में पूरा होने की उम्मीद है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन यादव ने कहा कि मंत्रालय बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को एक साथ शुरू करना चाहता है। रेलवे की कोशिश है कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को एक साथ शुरू किया जाए और इसके मुताबिक ही योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि लीनियर प्रोजेक्ट्स में तब तक टेंडर आमंत्रित नहीं किए जा सकते हैं, जब तक जमीन का अधिग्रहण नहीं हो जाता।
उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय की महाराष्ट्र सरकार के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है और उन्हें आश्वासन दिया गया है कि 4 महीने में 80 फीसदी भूमि अधिग्रहण पूरा हो जाएगा। ऐसा होता है तो हम टेंडर आमंत्रित कर सकेंगे और दोनों चरणों को एक साथ शुरू किया जाएगा। अगर महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण में देरी हुई तो पहले चरण में वापी (गुजरात) तक के 325 किमी को स्ट्रेच को शुरू किया जा सकता है।
महाराष्ट्र में अभी तक केवल 26 फीसदी जमीन का ही अधिग्रहण हुआ है। पूरी परियोजना के लिए 68 फीसदी जमीन का अधिग्रहण हुआ है। 508.17 किमी लंबे बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का 155.76 किमी हिस्सा महाराष्ट्र में, 348.04 किमी गुजरात में और 4.3 किमी दादरा एवं नगर हवेली में है। इस परियोजना की लागत 1.1 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी 81 फीसदी फाइनेंस कर रही है।