अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ यानी वन नेशन, वन इलेक्शन को केवल विचार-विमर्श का मुद्दा नहीं, बल्कि देश की जरूरत बताया और कहा कि इस बारे में गंभीरता से सोचा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से पीठासीन अधिकारियों के 80वें अखिल भारतीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित किया। दो दिन का यह सम्मेलन बुधवार को शुरू हुआ था, जिसका उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि ये भारत की जरूरत है। हर कुछ महीने में भारत में कहीं न कहीं चुनाव हो रहे होते हैं। इससे विकास कार्यों पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में वन नेशन, वन इलेक्शन पर गहन मंथन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इसमें पीठासीन अधिकारी काफी मार्गदर्शन कर सकते हैं और अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। इस अवसर पर लोकसभा, विधानसभा या पंचायत चुनावों के लिए केवल एक मतदाता सूची का उपयोग किए जाने की भी वकालत की। उन्होंने कहा,‘इसके लिए रास्ता बनाना होगा। हम इन सब पर समय और पैसा क्यों बर्बाद कर रहे हैं?’
प्रधानमंत्री ने संसद और विधानसभाओं के डिजिटलीकरण पर भी बल दिया और इस दिशा में कदम उठाने को कहा। उन्होंने कहा, ‘डिजिटाइजेशन को लेकर संसद में और कुछ विधानसभाओं में कुछ कोशिशें हुई हैं, लेकिन अब पूर्ण डिजिटाइजेशन का समय आ गया है। संविधान के मूल्यों का प्रसार किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि जिस तरह ‘केवाईसी- नो योर कस्टमर’ डिजिटल सुरक्षा की कुंजी है, उसी तरह ‘केवाईसी-नो योर कांस्टिट्यूशन’, संवैधानिक सुरक्षा की बड़ी गारंटी हो सकता है। हमारे कानूनों की भाषा बहुत सरल और आम जन के समझ में आने वाली होनी चाहिए ताकि वे हर कानून को ठीक से समझ सकें। पुराने पड़ चुके कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया भी सरल होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि एक ऐसी प्रक्रिया लागू की जाए जिसमें जैसे ही हम किसी पुराने कानून में सुधार करें, तो पुराना कानून स्वत: ही निरस्त हो जाए।