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प्रगतिशील महाराष्ट्र में नहीं थम रही किसानों की आत्महत्या

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-2023 में महाराष्ट्र में दस महीने में 2,366 किसानों ने की थी आत्महत्या
-मराठवाड़ा के आठ जिलों में 1,088 किसानों ने लगाया मौत को गले

डिजिटल न्यूज डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या का मामला राज्य सरकार के गले की फांस बन गई है। मराठवाड़ा संभागीय आयुक्त कार्यालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल महाराष्ट्र के आठ जिलों में 1,088 किसानों ने आत्महत्या की थी। एक अधिकारी के मुताबिक वर्ष 2022 की तुलना में यह आंकड़ा 65 अधिक है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में जो रिपोर्ट पेश की गई थी, उसके अनुसार राज्य में रोज 7 किसान किसी न किसी कारण आत्महत्या कर रहे हैं।

मदद व पुनर्वास मंत्री अनिल पाटील ने जो लिखित जलाब दिया था, उसके अनुसार, जनवरी से अक्टूबर 2023 के बीच महाराष्ट्र में 2,366 किसानों ने आत्महत्या की थी। आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले अमरावती विभाग में दर्ज हुआ है। यहां पर 951 किसानों ने आत्महत्या की है, जबकि छत्रपति संभाजीनगर विभाग में 877, नागपुर विभाग में 257, नासिक विभाग में 254 और पुणे मंडल में 27 किसानों ने खुदकुशी की है। मराठवाड़ा संभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2023 में मराठवाड़ा क्षेत्र 1,088 किसानों ने आत्महत्या की है। बीड जिले में सबसे अधिक 269 किसानों ने मौत को गले लगाया, जबकि छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) में 182, नांदेड़ में 175, धाराशिव में 171 और परभणी में 103 किसानों ने आत्महत्या की है। जालना, लातूर और हिंगोली में क्रमश: 74, 72 और 42 किसानों को आत्महत्या करनी पड़ी।

रिपोर्ट के हवाले से बताया मराठवाड़ा क्षेत्र में साल 2022 में 1,023 किसानों ने आत्महत्या की थी। साल 2023 में मराठवाड़ा क्षेत्र 1,088 किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें से 777 मुआवजे के पात्र थे, जिन्हें मुआवजा दे दिया गया, जबकि 151 मामलों की अभी जांच चल रही है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, वर्ष 2014 के बाद से देश भर में प्रति दिन औसतन 30 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई है। इसके पीछे जो कारण बताए जा रहे हैं, उसके मुताबिक, ‘सार्वजनिक निवेश में गिरावट, प्रमुख उद्योगों का निजीकरण, बाहरी व्यापार को बढ़ावा देना, राज्य सब्सिडी में गिरावट और औपचारिक कृषि ऋण में कमी आना जैसे कुछ बड़े कारक हैं,​ जिससे किसानों की ​मुश्किलें बढ़ रही हैं। कृषि संकट के मूल कारणों का सरकार समाधान नहीं खोज पाई है।

 


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