डिजिटल न्यूज़ डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 44 के तहत की गई शिकायत के आधार पर अदालत के संज्ञान लेने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उस मुद्दे पर आया है, जिसमें कहा गया था कि क्या किसी आरोपी द्वारा सीआरपीसी की धारा 88 के तहत अदालत के समक्ष अपनी उपस्थिति दिखाने के लिए बांड का निष्पादन किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ईडी को हिरासत की आवश्यकता है, तो जांच एजेंसी संबंधित अदालत के समक्ष आवेदन दे सकती है। कोर्ट हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता के कारणों से संतुष्ट होने के बाद केवल एक बार आरोपी की हिरासत दे सकती है।
आरोपी को समन दे सकती है अदालत
जस्टिस अभय एस. ओका की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि आरोपी को अदालत द्वारा समन किया जा सकता है, लेकिन उसे अपनी रिहाई के लिए जमानत की शर्तों को पूरा करना होगा। पीठ ने कहा, ‘अगर शिकायत दर्ज होने तक ईडी ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया तो अदालत धारा 44 के तहत शिकायत का संज्ञान लेते हुए आरोपियों को समन जारी करना चाहिए, न कि वारंट।’
हिरासत मांगने के लिए अदालत को करना होगा आवेदन
अदालत ने कहा कि अगर ईडी उसी अपराध की आगे की जांच करने के लिए समन की तामील के बाद पेश होने वाले आरोपी की हिरासत चाहती है, तो ईडी को विशेष अदालत में आवेदन करके आरोपी की हिरासत मांगनी होगी।