✍🏻 प्रहरी संवाददाता, नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने सैन्य संचालन में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। अमेरिका और चीन ने AI-संचालित सैन्य प्रणालियों में इतनी तरक्की कर ली है कि वे भारत से 25 से 40 साल आगे निकल चुके हैं। ड्रोन स्वार्म्स, स्वायत्त हथियार और साइबर वॉरफेयर में AI का एकीकरण इन देशों को युद्धक्षेत्र में अभूतपूर्व ताकत दे रहा है। जबकि भारत की AI डिफेंस क्षमता अभी प्रारंभिक चरण में है, इसके लिए निवेश और नीतिगत सुधारों की तत्काल आवश्यकता है।
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AI डिफेंस सिस्टम में भारत से 40 साल आगे निकल चुके हैं अमेरिका और चीन

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✍🏻 प्रहरी संवाददाता, नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने सैन्य संचालन में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। अमेरिका और चीन ने AI-संचालित सैन्य प्रणालियों में इतनी तरक्की कर ली है कि वे भारत से 25 से 40 साल आगे निकल चुके हैं। ड्रोन स्वार्म्स, स्वायत्त हथियार और साइबर वॉरफेयर में AI का एकीकरण इन देशों को युद्धक्षेत्र में अभूतपूर्व ताकत दे रहा है। जबकि भारत की AI डिफेंस क्षमता अभी प्रारंभिक चरण में है, इसके लिए निवेश और नीतिगत सुधारों की तत्काल आवश्यकता है।

 

अमेरिका: AI वॉरफेयर में निर्विवाद नेता

अमेरिका ने Project Maven और Joint AI Center (JAIC) जैसे प्रमुख प्रोजेक्ट्स के जरिए स्वायत्त सैन्य प्रणालियों, स्मार्ट इंटेलिजेंस नेटवर्क और रियल-टाइम डेटा प्रोसेसिंग में अभूतपूर्व विकास किया है। इसके साथ ही, AI-गाइडेड ड्रोन, स्मार्ट रोबोट्स, और इंटेलिजेंस सिस्टम अब अमेरिकी सेना के मुख्य हथियार बन चुके हैं। 2023 में, अमेरिका ने $816 बिलियन का सैन्य बजट तैयार किया, जिसमें एक बड़ा हिस्सा AI आधारित प्रणालियों और स्वायत्त युद्ध तकनीकों पर खर्च किया गया।

चीन: 2030 तक AI में वैश्विक लीडर बनने का लक्ष्य

चीन ने 2017 में AI सैन्य मॉडर्नाइजेशन योजना शुरू की थी और 2030 तक AI के क्षेत्र में वैश्विक लीडर बनने का लक्ष्य रखा है। चीन ने AI-आधारित ह्यूमनॉइड रोबोटिक्स, स्मार्ट युद्ध ड्रोन, और डेटा एनालिटिक्स को अपने सैन्य सिस्टम में इंटीग्रेट किया है। चीन के पास स्वायत्त हवाई और समुद्री वाहन हैं, जो युद्ध के मैदान में खुद निर्णय लेने में सक्षम हैं। इसके अलावा, AI-आधारित सैटेलाइट और सर्विलांस सिस्टम्स ने चीन को अपने विरोधियों पर रियल-टाइम निगरानी और साइबर युद्ध में मजबूती प्रदान की है।

बड़ा दांव: 2025 तक चीन का AI बाजार 191 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद।

भारत: AI में तेजी से विकास की आवश्यकता

भारत ने AI-आधारित रक्षा प्रणालियों में कुछ कदम जरूर उठाए हैं, जैसे DRDO द्वारा विकसित इंद्रजाल डिफेंस डोम और कुछ AI-समर्थित ड्रोन, लेकिन भारत का AI डिफेंस बजट अभी भी अमेरिका और चीन के मुकाबले बहुत कम है। स्वदेशी ड्रोन और स्मार्ट सिस्टम अभी तक प्रायोगिक चरण में हैं। भारत को अपने AI रिसर्च और डेवलपमेंट को गति देने की आवश्यकता है, ताकि वह भविष्य में AI वॉरफेयर के क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर सके।

 

वैश्विक रेस: कौन कितना आगे?

अमेरिका:

  • ताकत: ओपनएआई, गूगल, और मेटा जैसे दिग्गजों के साथ AI में अग्रणी। बोस्टन डायनामिक्स रोबोटिक्स में क्रांति ला रहा।
  • निवेश: 2023 में AI स्टार्टअप्स में 30% निवेश वृद्धि।
  • चुनौती: डीपसीक जैसे सस्ते चीनी मॉडल्स से खतरा।

यूरोप:

  • खासियत: AI एक्ट के साथ नैतिकता और पारदर्शिता पर जोर।
  • कमजोरी: नवाचार और संसाधनों में अमेरिका-चीन से पीछे।

जापान-दक्षिण कोरिया:

  • रोबोटिक्स में दबदबा: औद्योगिक और सेवा रोबोट्स में मजबूत स्थिति।
  • AI में स्थिति: प्रगति, लेकिन अमेरिका और चीन से पीछे।

 


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