मंत्रिमंडल में छगन भुजबल की एंट्री से बदले सियासी समीकरण
फडणवीस सरकार में ओबीसी नेता को मिली जगह, मराठा आरक्षण मोर्चे से उठे सवाल
✍🏻 प्रहरी संवाददाता, मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने पांच महीने पुराने मंत्रिमंडल का बहुप्रतीक्षित विस्तार करते हुए एनसीपी नेता और वरिष्ठ ओबीसी चेहरा छगन भुजबल को कैबिनेट में शामिल कर लिया है। मंगलवार को राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाई।
77 वर्षीय छगन भुजबल लंबे समय से कैबिनेट में शामिल होने का इंतजार कर रहे थे। पिछले साल दिसंबर में पहले विस्तार के दौरान उनका नाम बाहर रह गया था, जिससे ओबीसी समुदाय में नाराजगी देखी गई थी। भुजबल ने उस समय दावा किया था कि उन्हें राज्यपाल या राज्यसभा सदस्य बनने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने उसे यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि “यह मेरे मुंह पर ताला लगाने जैसा होगा।”
शपथ ग्रहण के बाद मीडिया से बात करते हुए भुजबल ने कहा, “मैं 1991 से मंत्रालय संभालता आया हूं। विभाग को लेकर कोई लालसा नहीं है। जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, निभाऊंगा।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एनसीपी नेताओं का आभार जताते हुए कहा, “ऑल इज वेल।”
भुजबल की वापसी ऐसे समय में हुई है, जब मराठा आरक्षण का मुद्दा फिर से गरम है। मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख चेहरा मनोज जरांगे ने इस नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए कहा कि “एक ऐसे नेता को बढ़ावा दिया जा रहा है जो मराठा आरक्षण का विरोध करता रहा है।” जरांगे ने फडणवीस सरकार पर मराठा नेताओं को दरकिनार करने का आरोप भी लगाया।
गौरतलब है कि भुजबल की नियुक्ति धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद हुई है, जो सरपंच संतोष देशमुख हत्या मामले में अपने करीबी की गिरफ्तारी के चलते खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री पद से हटे थे। एनसीपी के भीतर यह बदलाव आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले ओबीसी समर्थन को मजबूत करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि मुख्यमंत्री फडणवीस भुजबल को कौन-सा मंत्रालय सौंपते हैं।