✍🏻 डिजिटल न्यूज डेस्क, मुंबई- नई दिल्ली | महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि कुल आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं हो सकता। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने उसके पूर्व आदेशों को गलत समझा और उस पर गलत तरीके से अमल करने की कोशिश की।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “हमने कभी 50% सीमा से अधिक आरक्षण की अनुमति नहीं दी। जब अदालत ने कहा था कि चुनाव मौजूदा कानून के तहत कराए जाएं, तो कानून बेहद साफ था कि आरक्षण 50% तक सीमित रहेगा।”
अदालत ने स्पष्ट किया कि बंठिया आयोग की रिपोर्ट अभी विचाराधीन है और यह तय होना बाकी है कि उसे स्वीकार किया जा सकता है या नहीं। जस्टिस बागची ने कहा कि अदालत ने केवल ‘बंठिया से पहले की स्थिति’ बनाए रखने का संकेत दिया था। इसका अर्थ यह नहीं था कि ओबीसी आरक्षण फिर से 27% हो जाए, क्योंकि जस्टिस खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने पहले ही उस पर रोक लगा दी थी।
अदालत ने दोहराया कि ओबीसी आरक्षण संविधान पीठ के निर्णय के अनुरूप 50% सीमा से अधिक नहीं हो सकता।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और नामांकन दाखिल करने का काम अगले दिन से आरंभ होगा। इस पर अदालत ने नामांकन प्रक्रिया को एक दिन के लिए स्थगित करने का सुझाव दिया, लेकिन केंद्र ने कहा कि चुनाव आयोग अदालत के आगामी निर्णय के अधीन कार्य करेगा।
जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि कुछ अधिकारियों ने न्यायालय के आदेश का “अनुचित लाभ उठाने की कोशिश” की, जिससे स्थिति जटिल हुई। उन्होंने कहा कि अदालत फिलहाल अवमानना की कार्यवाही पर विचार नहीं कर रही, लेकिन भविष्य में ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाएगा।
Case Title: RAHUL RAMESH WAGH Versus THE STATE OF MAHARASHTRA AND ORS., SLP(C) No. 19756/2021 (and connected cases)
