✍🏻 प्रहरी संवाददाता, मुंबई, नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव गंभीर रूप ले चुका है। भारत सरकार ने पाकिस्तान पर कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, अटारी सीमा को बंद कर दिया गया है और पाकिस्तान से आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन कदमों ने पहले से ही संकटग्रस्त पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पर गंभीर दबाव डाला है।
भारतीय वायुसेना ने बीते दो दिनों में पाकिस्तान के बहावलपुर, मुरिदके और मुजफ्फराबाद स्थित आतंकवादी ठिकानों पर सर्जिकल हमले किए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने पांच भारतीय विमानों को मार गिराने का दावा किया है। पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के अनुसार, अब तक इन हमलों में 31 नागरिकों की मौत हुई है और 57 घायल हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्थिति पर नजर रखी जा रही है। अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और तुर्की जैसे देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक माध्यमों से समाधान निकालने की अपील की है।
इस बीच आर्थिक मोर्चे पर भी तनाव के गहरे प्रभाव दिखने लगे हैं। मूडीज रेटिंग्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, यदि यह तनाव पूर्ण युद्ध में तब्दील होता है, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूर्णतः चरमरा सकती है।
मौजूदा समय में पाकिस्तान के पास केवल 13.15 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जो दो महीने के आयात के लिए भी अपर्याप्त है। बढ़ते सैन्य खर्च और IMF से ऋण की अनिश्चितता के चलते पाकिस्तान को श्रीलंका जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
भारत ने IMF से आग्रह किया है कि वह पाकिस्तान को दिए जाने वाले संभावित ऋण की समीक्षा करे। इससे पाकिस्तान की आर्थिक संकट और गहराने की आशंका है।
वहीं भारत के पास 688 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जो इसे कुछ हद तक युद्ध के प्रभाव से सुरक्षित रख सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापक युद्ध की स्थिति में भारत को करीब 62 लाख करोड़ रुपये तक का आर्थिक नुकसान हो सकता है। 1999 के कारगिल युद्ध की तुलना में यह खर्च कई गुना अधिक होगा। कारगिल युद्ध में भारत को 5,000-10,000 करोड़ रुपये का खर्च आया था।
रक्षा बजट में संभावित वृद्धि से भारत का राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है, जिससे चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 की 6.8% अनुमानित विकास दर पर असर पड़ सकता है।
परमाणु हथियार संपन्न इन दोनों देशों के बीच किसी भी सैन्य संघर्ष से दक्षिण एशिया की स्थिरता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। वैश्विक समुदाय की नजरें अब भारत-पाकिस्तान के अगले कदम पर टिकी हैं।