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प्राइवेट शोषण के बाद सरकारी नौकरी पर टूटी भीड़
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UPPSC एलटी ग्रेड भर्ती 2025 ने बनाया रिकॉर्ड
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7,466 पदों पर 12.36 लाख आवेदन; एक पद पर 165 से ज्यादा दावेदार
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ठेका और निजीकरण के बीच युवाओं की बेरोजगारी उजागर
✍🏻 प्रहरी संवाददाता, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी का संकट अब किस हद तक गहराता जा रहा है, इसका ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की हालिया एलटी ग्रेड भर्ती 2025 में देखने को मिला है। सरकारी स्कूलों में सहायक अध्यापक (ट्रेन्ड ग्रेजुएट श्रेणी) के 7,466 पदों के लिए 12,36,253 आवेदन आए हैं। यह न केवल आयोग के इतिहास में सबसे बड़ी भर्ती बन गई है, बल्कि यह स्थिति युवाओं के सामने खड़े रोजगार संकट और सरकारी तंत्र की विफलता का भी आईना दिखाती है।
यहां गौर करने वाली बात है कि निजी क्षेत्र की नौकरियों में ठेका प्रथा और अस्थायी नियुक्तियों के कारण हो रहे शोषण से त्रस्त युवा अब सरकारी नौकरियों की ओर और तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। जबकि सरकार भी कई विभागों में आउटसोर्सिंग और निजीकरण को बढ़ावा दे रही है, इसके बावजूद युवाओं का सरकारी नौकरी के प्रति भरोसा इतना गहरा है कि एक-एक पद पर औसतन 165 उम्मीदवारों की दावेदारी देखने को मिल रही है।
सबसे बड़ी भर्ती, सबसे बड़ा संकट
सरकारी दफ्तरों से लेकर स्कूलों तक, निजीकरण और ठेका पद्धति ने भले ही सरकारी नौकरियों की चमक फीकी करने की कोशिश की हो, लेकिन हालात यह हैं कि अब भी युवा इन पदों के लिए टूट पड़ रहे हैं। यूपी में एलटी ग्रेड भर्ती में इस बार 2018 की तुलना में पदों की संख्या कम है। तब 10,768 पदों के लिए 7,63,317 आवेदन आए थे, जबकि इस बार केवल 7,466 पदों के लिए लगभग 4.5 लाख अधिक आवेदन जमा हुए। इससे साफ है कि राज्य में शिक्षक बनने की चाहत रखने वाले उम्मीदवारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सात साल के अंतराल के बाद हो रही इस भर्ती ने युवाओं को अवसर दिया, लेकिन बेरोजगारी के आंकड़े कहीं अधिक गंभीर तस्वीर पेश कर रहे हैं।
पिछले साल तक रिकॉर्ड आवेदन RO/ARO भर्ती 2023 में आए थे, जिसमें 10.76 लाख उम्मीदवारों ने फार्म भरे थे। एलटी ग्रेड भर्ती ने इसे भी पीछे छोड़ दिया और 1.6 लाख अधिक आवेदन दर्ज किए। इससे यह स्पष्ट है कि चाहे प्रतियोगी परीक्षाओं का स्तर कितना ही कठिन क्यों न हो, रोजगार का संकट उम्मीदवारों को हर अवसर पर टूट पड़ने के लिए मजबूर कर रहा है।
वन टाइम रजिस्ट्रेशन करनेवालों की बढ़ती संख्या
आयोग द्वारा जारी विज्ञापन के अनुसार, इस बार 9.5 लाख नए वन-टाइम रजिस्ट्रेशन (OTR) हुए। इससे पहले OTR की संख्या 21.75 लाख थी, जो बढ़कर 31.04 लाख हो गई। यह बढ़ोतरी केवल आंकड़ा नहीं, बल्कि उस भीड़ का प्रतीक है, जो स्थायी और सुरक्षित सरकारी नौकरी की तलाश में आयोग के दरवाजे पर खड़ी है।
7,466 पदों में से 4,860 पद पुरुषों के लिए, 2,525 पद महिलाओं के लिए और 81 पद दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित हैं। कुल 15 विषयों में होने वाली यह भर्ती लाखों युवाओं के लिए आशा की किरण है, लेकिन इतनी भारी संख्या में आवेदन यह भी दर्शाते हैं कि प्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों की फौज लगातार बढ़ती जा रही है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि बेरोजगारी केवल संख्या का खेल नहीं है, बल्कि यह युवाओं के भविष्य, उनके आत्मविश्वास और सामाजिक संतुलन से भी जुड़ा मसला है। निजी कंपनियों में अस्थायी नियुक्तियां और कम वेतन ने युवाओं को ठगा हुआ महसूस कराया है। सरकारी क्षेत्र में भी जब ठेका पद्धति और निजीकरण की नीति बढ़ रही हो, तब इस तरह की भर्तियों के लिए उमड़ती भीड़ सरकार के रोजगार मॉडल पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
परीक्षा से पहले परीक्षा
इतनी बड़ी संख्या में आवेदन आने के बाद अब UPPSC के सामने सबसे बड़ी चुनौती परीक्षा केंद्रों का निर्धारण है। 15 अलग-अलग विषयों में परीक्षा कराना किसी बड़ी प्रशासनिक कवायद से कम नहीं होगा। आयोग ने परीक्षा केंद्र आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और जल्द ही परीक्षा तिथियों का ऐलान होने की संभावना है।
रोजगार सृजन मॉडल फेल
यह स्थिति चुपचाप यह कह रही है कि प्रदेश में रोजगार के हालात किस कदर बिगड़े हुए हैं। प्राइवेट नौकरियों में ठेका और आउटसोर्सिंग के शोषण से त्रस्त युवा अब सरकारी नौकरियों की इस ‘भागमभाग दौड़’ में शामिल हो रहे हैं। सरकार रोज़गार देने के लाख दावे कर ले, लेकिन जब सात हजार पदों पर 12 लाख से ज्यादा आवेदन जमा हो जाएं, तो सवाल अपने आप खड़ा हो जाता है—क्या नौकरियां वाकई मिल रही हैं या सिर्फ विज्ञापन ही गूंज रहे हैं?