नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू)में पीएचडी एडमिशन के रिजल्ट को लेकर विवाद शुरू हो गया है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) ने दावा किया है कि कमजोर और पिछड़े वर्ग से आने वाले छात्रों को मौखिक परीक्षा में कम अंक दिए गए हैं।
कुछ छात्रों ने यह भी दावा किया कि इंटरव्यू पैनल मनमाने ढंग से बनाए गए थे और रिसर्च रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बावजूद उन्हें कम अंक दिए गए, जिसकी वजह से आवश्यक कटऑफ से नंबर कम हो गए।
अर्थशास्त्र में पीएचडी के लिए आवेदन करने वाले जूनियर रिसर्च फेलो (जेआरएफ) एक छात्र ने कहा कि जेआरएफ वालों को लिखित परीक्षा से छूट है। इसका मतलब है कि वे पूरी तरह से इंटरव्यू पैनल की दया पर छोड़ दिए गए हैं। अधिकांश संकाय सदस्यों को इस प्रक्रिया में दरकिनार कर दिया गया। यह भेदभाव के बराबर है।
कई प्रोफेसरों का कहना था कि साक्षात्कार के लिए बुलाए गए छात्रों का अनुपात इस वर्ष बहुत अधिक था। कई मामलों में सात सीटों के लिए प्रत्येक दिन 100 से अधिक छात्रों को मौखिक परीक्षा के लिए बुलाया गया था। यह प्रक्रिया ऑनलाइन हो रही थी, जिसमें तकनीकी मुद्दे भी थे। कुछ छात्रों ने शिकायत की थी कि वे असहज थे। साक्षात्कार के लिए समय पहले की तुलना में काफी कम था।
जेएनयू प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि छात्रों की ओर से उठाए गए दावे निराधार हैं। सब कुछ प्रक्रिया के अनुसार आयोजित किया गया था। महिला उम्मीदवारों और आरक्षित श्रेणियों के लोगों के लिए सभी आरक्षित सीटें आरक्षित वर्ग के लोगों से ही भरी जाएंगी। जब तक अंतिम आंकड़े नहीं आते तब तक इस तरह के दावे करना गलत है।