भारत-नेपाल सीमा परियोजना में गड़बड़ी
पूर्वी चंपारण में 150 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी
64% SSB चौकी सड़क से नहीं जुड़े
पटना। बिहार में कैग की रिपोर्ट में नीतीश सरकार की पूरी पोल खुल गई है। विधानसभा पटल पर रखे जाने के बाद सार्वजनिक हुई कैग रिपोर्ट में बिहार सरकार के सुशासन की पोल खुल गई है। रिपोर्ट में न सिर्फ करोड़ों की राशि के बंदरबांट किये जाने का खुलासा हुआ है, बल्कि सीमा सुरक्षा को लेकर भी भारी लापरवाही बरते जाने की जानकारी मिली है।
महालेखाकार की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अति महत्वपूर्ण भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना सुशासन के अफसरों अफसरों की भेंट चढ़ गई। 10 साल बाद भी यह परियोजना अपने उद्देश्य की पूर्ति करने में असफल रही है।
परत दर परत खोली पोल
कैग की रिपोर्ट में विभाग ने दावा किया गया कि परियोजना के लिए 2759.2 5 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी, जिसमें से 2497.6 4 एकड़ यानी 91% जमीन अधिग्रहण की जा चुकी है। हालांकि दाखिल खारिज प्रक्रिया पूरी ना होने के कारण स्वामित्व को वैधानिक रूप से सरकार को हस्तांतरित नहीं किया जा सका है।
पूर्वी चंपारण में हुआ बड़ा खेल
भारत नेपाल सीमा सड़क परियोजना में भूमि अधिग्रहण के लिए आपातकालीन प्रावधान के तहत विलंब से आवेदन करने से लागत में 1375.33 करोड़ यानी 158% की वृद्धि हुई। परियोजना में 5 वर्षों का विलंब हुआ था। इसके अलावा भूमि के गलत वर्गीकरण के कारण 104 करोड़ 33 लाख का अधिक भुगतान किए जाने की बात सामने आई है। वास्तविक दावों के सत्यापन को सुनिश्चित किए बिना भू स्वामियों को 45 करोड़ 36 लाख रुपये का अधिक भुगतान के मामले पाए गए हैं।
फर्जी दस्तावेजों पर दो करोड़ 36 लाख रुपये का भुगतान किया गया। जिला भू अर्जन पदाधिकारी मोतिहारी ने जवाब दिया कि लेखा परीक्षा का अवलोकन कर जांच की जाएगी। सरकार को मामले की सूचना दे दी गई है और जवाब प्रतीक्षित है।