मुंबई। महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि कर लगाने के राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण करने की दिशा में उठाये जाने वाले किसी भी कदम का विरोध किया जाएगा। सरकार इसके खिलाफ है। शुक्रवार को वस्तु एवं सेवा (जीएसटी) काउंसिल की बैठक में सरकार अपना यह विचार रखेगी।
पवार जीएसटी परिषद की शुक्रवार को लखनऊ में होने वाली बैठक में पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों को माल एवं सेवा कर के दायरे में लाने पर विचार किए जाने से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे। इसके लिए केंद्र तथा राज्य सरकार दोनों को कर से मिलने वाले राजस्व के मामले में बड़ा समझौता करना होगा।
महाराष्ट्र के वित्त मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे पवार ने कहा कि केंद्र कर लगाने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन जो राज्य के अधिकार क्षेत्र में है, उसमें अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को ‘एक राष्ट्र एक कर’ के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून लागू करते समय संसद में किए गए सभी वादों का पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य को जीएसटी रिफंड के 30,000 से 32,000 करोड़ रुपये रुपये अभी तक नहीं मिले हैं। एक्साइज और स्टैंप शुल्क के अलावा, राज्य सरकार के लिए राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत जीएसटी है। इस सप्ताह की शुरुआत में नीति आयोग के सदस्यों के साथ बातचीत के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने वित्तीय मोर्चे पर राज्य की स्थिति को रखा था।
