ईडी ने संजय पांडे को किया था तलब, ऑडिट करनेवाली कंपनी में थे डायरेक्टर
मुंबई। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडे कथित नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को-लोकेशन घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए मंगलवार को दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश हुए। एजेंसी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत उनका बयान दर्ज किया। वर्ष 1986 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी 30 जून को सेवानिवृत्त हुए थे।
अधिकारियों ने बताया कि पांडे से ईडी की पूछताछ आईसेक सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कामकाज और गतिविधियों से संबंधित है। इस कंपनी ने भी कथित तौर पर को-लोकेशन संबंधी अनियमितताएं के समय एनएसई का सुरक्षा ऑडिट किया था।
मार्च 2001 में पांडे इस कंपनी के निदेशक थे। उन्होंने मई 2006 में इसके निदेशक का पद छोड़ दिया था। उनके बेटे एवं मां ने कंपनी का कार्यभार संभाल लिया था।
समझा जाता है कि आईआईटी-कानपुर और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाले पुलिस अधिकारी ने सेवा से इस्तीफा देने के बाद कंपनी की स्थापना की थी। उनका इस्तीफा सरकार ने स्वीकार नहीं किया और वह फिर से सेवा में शामिल हो गए थे, लेकिन उन्हें तुरंत पदस्थापना नहीं दी गई थी।
एजेंसी इस मामले में एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चित्रा रामकृष्ण का बयान पहले ही दर्ज कर चुकी है। रामकृष्ण तिहाड़ जेल में बंद है। समूह के पूर्व संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम को भी मार्च में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था।
ईडी ने उनके खिलाफ धनशोधन के आरोपों संबंधी सीबीआई की शिकायत का संज्ञान लिया था। आयकर विभाग एनएसई में अनियमितताओं के इन आरोपों की जांच करने वाली तीसरी एजेंसी है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 2015 में को-लोकेशन मामले की जांच शुरू की थी