नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में अंशदान में देरी के लिए होने वाले नुकसान की भरपाई नियोक्ता को करनी होगी। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को यह व्यवस्था दी है। न्यायालय ने कहा, ‘हमारा विचार है कि ईपीएफ अंशदान जमा करने में देरी के लिए नियोक्ता को कानून की धारा 14 बी के तहत क्षतिपूर्ति देनी होगी…।’
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस. ओक की पीठ ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम किसी ऐसे प्रतिष्ठान में काम करने वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है, जहां 20 या अधिक लोग काम करते हैं।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इस कानून के तहत नियोक्ता की यह जिम्मेदारी है कि वह अनिवार्य रूप से भविष्य निधि (पीएफ) की कटौती करे और उसे ईपीएफ कार्यालय में कर्मचारी के खाते में जमा कराए।
उच्चतम न्यायालय ने यह व्यवस्था कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर दी है। उच्च न्यायालय ने फैसला दिया था कि यदि नियोक्ता ईपीएफ में अंशदान में देरी करता है, तो इसकी क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी उसी की होगी।