यरुशलम। इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में हुए ऐतिहासिक समझौते का फिलीस्तीन ने कड़ा विरोध किया है। फिलिस्तीन ने इस समझौते को रद्द करने की मांग करते हुए यूएई से अपने राजदूत को भी वापस बुला लिया है।
- फिलिस्तीन की आधिकारिक न्यूज एजेंसी ने बताया कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में तैनात फिलिस्तीन राजदूत को वापस बुलाया जा रहा है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और इज़राइल ने पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए समझौते किए है, जिसके बाद फिलिस्तीन ने यह कदम उठाया है।
फिलिस्तीन ने समझौते पर निशाना साधते हुए इसे फिलिस्तीन की मांगों के साथ ‘‘विश्वासघात” करार दिया और इसे वापस लेने की मांग की। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और इज़राइल ने गुरुवार को उस समझौते के तहत पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने पर सहमति जतायी, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इस समझौते के तहत इजराइल को कब्जे वाले वेस्ट बैंक के बड़े हिस्सों को अपने में मिलाने की विवादास्पद योजना को रोकना होगा।
फिलिस्तीन राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रवक्ता नबील अबू रदेनेह ने कहा कि यह समझौता ‘‘राजद्रोह” के समान है और इसे वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूएई को अपना यह निर्णय वापस लेना चाहिए और साथ ही उन्होंने अरब देशों से भी ‘‘फिलिस्तीन लोगों के अधिकारों की कीमत पर” इसका पालन ना करने का आग्रह किया। वहीं अमेरिका, इज़राइल और संयुक्त अरब अमीरात का मानना है कि इससे पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति लाने में मदद मिलेगी।
