प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट से खुलासा
समाचार प्रहरी, मुंबई।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रही। एनजीओ प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के खिलाफ दर्ज किए गए 90 फीसदी मामलों की सुनवाई पूरी नहीं हो पाई है। अभी भी यह मामले अदालतों में लंबित हैं। मुंबई में पिछले साल 2019-20 में बलात्कार मामलों में 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल 1016 रेप मामले दर्ज हुए थे, जिसमें से पॉक्सो ऐक्ट के तहत 622 केस सामने आए थे। महिलाओं के खिलाफ सजा सुनाने की दर भी काफी कम रही है।
31 फीसदी मामलों में सजा हुई
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2019 में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हुए अपराधों में कन्विक्शन का प्रतिशत महज 31 फीसदी रहा है, जबकि बच्चों के खिलाफ हुए अपराधों में 38 फीसदी। साल 2017 के मुकाबले अब तक यह सबसे कम दर रहा है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हुए अपराधों के मामलों को तेजी से निपटाने की पहल करनी चाहिए। बच्चों के साथ हुए अपराधों को स्पेशल पॉक्सो कोर्ट में सुना जाना चाहिए। साल भर के भीतर ही फैसला सुनाया जा सके।
पॉक्सो कोर्ट में नहीं पहुंचे मामले
प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि बच्चों के साथ हुए अपराधों के आधे मामले पॉक्सो कोर्ट में नहीं पहुंच पाए हैं। साल 2019 के दौरान दर्ज हुए 222 मामलों में से सिर्फ 20 पर्सेंट केस ही पॉक्सो कोर्ट में अपने अंजाम तक पहुंच पाए हैं। हालांकि अदालतों और पुलिस विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी है। सत्र न्यायालयों में 14 पर्सेंट जजों की कमी है, जबकी पुलिस विभाग में 18 प्रतिशत स्टाफ की कमी है। इसके अलावा, फॉरेंसिक प्रयोगशालाओ में 42 फ़ीसदी एवं 28 पर्सेंट सरकारी वकीलों की भारी कमी है।
2013-17 के बीच 24 फीसदी मामलों में हुई सजा
प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, सेशन कोर्ट में आईपीसी की धाराओं के तहत चल रहे मुकदमों में बीते 4 सालों में महज 24 फ़ीसदी केसेस में ही सजा हो पाई है। हत्या के मामलों में 33 पर्सेंट और सबसे कम डकैती के मामले में 12 पर्सेंट कन्विक्शन हुआ है। सबूतों के अभाव में ज्यादातर आरोपी छूट जाते हैं।