मुंबई। असम शांति समझौते के तहत केंद्र सरकार ने नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) को सार्वजनिक क्षेत्र में रखने का फैसला किया है। मंगलवार को बीपीसीएल के बोर्ड ने पूरी हिस्सेदारी एनआरएल में बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह हिस्सेदारी ऑयल इंडिया लिमिटेड, इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड और असम सरकार खरीदेगी। नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड की बिक्री से देश की दूसरी सबसे बड़ी खुदरा ईंधन कंपनी के निजीकरण का रास्ता साफ हो गया है। नुमालीगढ़ में हिस्सेदारी बेचने से बीपीसीएल को 9,876 करोड़ रुपये मिलेंगे।
बता दें कि सरकार ने अगले वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है। बीपीसीएल देश की दूसरी सबसे ऑइल मार्केटिंग कंपनी है। बीपीसीएल की एनआरएल में 61.65 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि ऑयल इंडिया की 26 फीसदी और असम सरकार की 12.35 फीसदी हिस्सेदारी है। नुमालीगढ़ में हिस्सेदारी बेचने के बाद बीपीसीएल के पास तीन रिफाइनरियां रह जाएंगी। ये मुंबई, कोच्चि और बीना (मध्य प्रदेश) में स्थित हैं। सरकार बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है। बोर्ड के इस फैसले के बाद शेयर बाजार में कंपनी का शेयर 4.5 फीसदी से ज्यादा मजबूती के साथ 482 रुपये के भाव पर पहुंच गया।
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