विवाद से विश्वास योजना के तहत घोषणा करने वालों को आवेदन में संशोधन की अनुमति
नई दिल्ली। सरकार ने 1 7 नवंबर तक विवाद से विश्वास योजना योजना के तहत 72,480 करोड़ रुपये प्राप्त किये हैं। कुल 45,855 करदाताओं ने योजना के तहत जानकारी दी। इन मामलों में 17 नवंबर तक 31,734 करोड़ रुपये की कर मांग विवाद में फंसी थी। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां भी योजना के तहत कुल एक लाख करोड़ रुपये के कर विवाद का निपटान कर रही हैं। इस योजना के तहत आकलन या पुन:आकलन के संदर्भ में करदाताओं को विवादित कर, विवादित ब्याज, जुर्माना या विवादित शुल्क के निपटान की अनुमति दी गई है। इसके अंतर्गत विवादित कर राशि का 100 प्रतिशत तथा विवादित जुर्माना या ब्याज अथवा शुल्क का 25 प्रतिशत देकर विवाद का निपटान किया जा सकता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने विवाद से विश्वास योजना में कई संशोधन किये हैं, जिससे आवेकनकर्ताओं को लाभ होगा।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने विवाद से विश्वास पर बार-बार पूछे जाने वाले सवाल (एफएक्यू) की श्रेणी में संशोधित करते हुए कहा है कि प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना का लाभ उस मामले में नहीं लिया जा सकता है, जहां आयकर निपटान आयोग (आईटीएससी) के समक्ष कार्यवाही लंबित है या फिर आईटीएससी के आदेश के खिलाफ रिट याचिका दायर की गई है।
सीबीडीटी ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन मामलों में द्विपक्षीय समझौता प्रक्रिया (एमएपी) समाधान लंबित है या करदाता ने एमएपी निर्णय को स्वीकार नहीं किया है, संबंधित अपील विवाद से विश्वास के अंतर्गत पात्र होंगी। से मामलों में ब्योर देने वाले को एमपीपी आवेदन और अपील दोनों वापस लेने होंगे। करदाता उन मामलों में घोषणा करने के लिए पात्र होंगे, जहां एडवांस रूलिंग प्राधिकरण (एएआर) ने करदाताओं के पक्ष में फैसला सुनाया है और विभाग ने उच्च न्यायालय-उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की है तथा करदाता की कुल आय का निर्धारण एएआर के समक्ष हो गया है।
फिलहाल, सरकार ने कोविड-19 महामारी को देखते हुए अक्टूबर में तीसरी बार विवाद से विश्वास योजना के तहत भुगतान की समयसीमा तीन महीने 31 मार्च, 2021 तक के लिये बढ़ायी है। हालांकि योजना का लाभ लेने वालों को घोषणा 31 दिसंबर, 2020 तक जमा करनी होगी।