नई दिल्ली। कोरोना काल में भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्जदाताओं को मोरेटोरियम की सुविधा दी थी। हालांकि इस दौरान लोगों को मूलधन न चुकाने की राहत तो मिली, लेकिन ब्याज चुकाना जरूरी रहा। ऐसे में लोगों को ब्याज पर भी ब्याज देना पड़ा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में गजेंद्र शर्मा बनाम यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और अन्य की सुनवाई के दौरान ब्याज पर लगने वाले ब्याज को लेकर काफी चिंताएं जाहिर की गईं। ऐसे में सरकार ने एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई है, जो इस मामले का पूरा असेसमेंट करेगी। इससे बैंक के कर्जदारों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
कमेटी में दिग्गज हैं शामिल
इस एक्सपर्ट कमेटी का चेयरपर्सन भारत के पूर्व सीएजी राजीव महर्षि को बनाया गया है। इसके अलावा कमेटी में आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर रविंद्र एच धोलकिया भी हैं, जो भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के पूर्व सदस्य हैं। कमेटी में भारतीय स्टेट बैंक और आईडीबीआई बैंक के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर बी श्रीराम भी हैं।
कमेटी मोरेटोरियम की सुविधा के तहत ब्याज पर छूट और ब्याज पर लगने वाले ब्याज पर छूट दिए जाने का देश की अर्थव्यवस्था और आर्थिक स्थिरता पर पड़ने वाले असर का आकलन करेगी। साथ ही ये कमेटी समाज के तमाम वर्गों की वित्तीय बाधाओं को कम करने के सुझाव देगी और बताएगी कि ऐसे में क्या कदम उठाने चाहिए। इस स्थिति में और जिस भी तरह का सुझाव देने की जरूरत होगी, वह सुझाव भी ये कमेटी देगी। कमेटी एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इस कमेटी को भारतीय स्टेट बैंक की तरफ से मदद भी मुहैया कराई जाएगी।