राहत पैकेज और सरकारी सुधारों का होगा फायदा
समाचार प्रहरी, मुंबई।
कोरोना महामारी के कारण देश की अर्थ व्यवस्था खस्ता हो गई है। हालांकि केंद्र सरकार राहत पैकेज जारी कर चुकी है और रिफॉर्म्स के तहत कई फैसले ले रही है। फिच रेटिंग्स का कहना है कि सरकार के इस कदम से मीडियम टर्म में इकोनॉमिक ग्रोथ रेट बढ़ सकती है। राहत पैकेज से निवेशकों को आकर्षित करने में सरकार की नीतियों कितनी सफल होती हैं, यह बहुत महत्वपूर्ण हैं। ग्रोथ को कम करने वाले दबाव भी काम कर रहे हैं। ऐसे में रिफॉर्म्स के सही मूल्यांकन में समय लग सकता है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने सरकारी कंपनियों को निजीकरण के तहत निवेशकों को आकर्षित करने की योजना बनाई है। करीब 200 से अधिक सरकारी कंपनियां केंद्र सरकार के अधीन हैं और 800 से अधिक कंपनियां राज्य सरकार के तहत हैं। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि इतने बड़े स्तर पर निजीकरण का बहुत बड़ा प्रभाव (ट्रांसफॉर्मेटिव) पड़ेगा।
कोरोना से निवेश पर बुरा प्रभाव
फिच के मुताबिक कोरोना महामारी ने मीडियम टर्म ग्रोथ को धीमा किया है। कॉरपोरेट बैलेंस शीट को भी नुकसान पहुंचाया है। अगले कुछ वर्षों तक उनके निवेश पर बुरा प्रभाव पड़ा सकता है। इसके अलावा नए एसेट क्वालिटी नियमों से बैंकों और कम लिक्विडिटी के कारण ग्रोथ पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। मीडियम टर्म के लिए सरकार ने जो कर्ज का लक्ष्य निर्धारित किया है, उससे अधिक कर्ज लेना पड़ सकता है।
निवेश को सहारे की जरूरत
फिच का मानना है कि मीडियम टर्म ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि सरकार निवेश और उत्पादकता को सहारा दे। इसके अलावा रेटिंग एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि अगले कुछ वर्षों तक सुधार जारी रखेगी। चालू वित्त वर्ष के लिए फिच रेटिंग्स का अनुमान है कि इंडियन इकोनॉमी 10.5 फीसदी की दर से सिकुड़ सकती है। इसमें नकारात्मक वृद्धि होगी। इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) को अस्थाई तौर पर रद्द कर दिया गया है और गुड्स एंड सर्विसेज एक्ट (जीएसटी) कलेक्शन में गिरावट ने राज्य और केंद्र के बीच राजस्व का बंटवारा मुश्किल भरा होगा।