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महायुति से कोई भी मुख्यमंत्री बने, वो दिल्ली, गुजरात की कठपुतली होता है: कांग्रेस

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कांग्रेस ने बीजेपी पर महाराष्ट्र के खिलाफ ‘प्रतिशोध’’ की भावना से काम करने का आरोप लगाया

प्रहरी संवाददाता, मुंबई। कांग्रेस ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर महाराष्ट्र के खिलाफ ‘प्रतिशोध’’ की भावना से काम करने का आरोप लगाया और दावा किया कि महायुति से चाहे कोई भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे ‘वो दिल्ली और गुजरात की कठपुतली ही होता है।’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी पसंदीदा को तरजीह देने में नहीं बल्कि पूरे देश के समान विकास में विश्वास करती है।
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘हम दो, हमारे दो’ के ‘अन्याय काल’ में महाराष्ट्र के खिलाफ प्रतिशोध की भावना है। महायुति से कोई भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे, लेकिन तार हमेशा दिल्ली और गुजरात से खींचे जाते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी पसंदीदा को तरजीह देने में विश्वास नहीं करती-हम पूरे देश के समान विकास में विश्वास करते हैं। नई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, विशेष निवेश क्षेत्रों और आधुनिक उद्योग से सभी भारतीयों को लाभ होना चाहिए न कि केवल एक राज्य को।’

कांग्रेस नेता ने कहा कि जब 1970 और 80 के दशक में गुजरात का औद्योगीकरण हो रहा था, तो गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (जीएसएफसी), गुजरात रिफाइनरी और आईपीसीएल जैसी परियोजनाएं अन्य राज्यों से परियोजनाएं छीने बिना स्थापित की गईं।

रमेश ने कहा, ‘दुर्भाग्य से, अपने आकाओं को खुश करने के लिए बीजेपी ने फैसला किया है कि महाराष्ट्र किसी भी नई परियोजना या केंद्रीय सहयोग का हकदार नहीं है। एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) गुजरात के गिफ्ट सिटी में स्थापित किया गया है।

मुंबई 200 वर्षों से भारत की वित्तीय राजधानी रही है, लेकिन निवर्तमान प्रधानमंत्री ने मुंबई में आईएफएससी स्थापित करने से मना कर दिया।’
रमेश ने दावा किया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2006 में इसे मुंबई में स्थापित करने का प्रयास शुरू किया था और बीकेसी में जमीन आईएफएससी के लिए अलग रखी गई थी, लेकिन इसे बुलेट ट्रेन के लिए आवंटित कर दिया गया, जिससे मुंबई से संभावित रूप से दो लाख नौकरियां चली गईं।

इसी तरह, बीजेपी और उसके कठपुतली आकाओं ने सूरत में नया ‘भारत डायमंड बोर्स’ बनाने का फैसला किया। यह अलग बात है कि यह कदम पूरी तरह से विफल रहा, कई हीरा व्यापारी अपना कारोबार वापस मुंबई ले जा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि टाटा-एयरबस विनिर्माण संयंत्र और (अब नाकाम हो चुकी) वेदांता-फॉक्सकॉन चिप फैक्टरी जैसी प्रमुख औद्योगिक निवेश परियोजनाओं को महाराष्ट्र से गुजरात ले जाया गया।


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