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तेजस की डिलीवरी लेट, सुरक्षा पर खतरा ग्रेट

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एयर चीफ की सख्त चेतावनी- ‘चलता है’ रवैये से नहीं चलेगा काम

✍🏻 प्रहरी संवाददाता, मुंबई। भारतीय वायुसेना ने पिछले हफ्ते अपने मिग-21 स्क्वॉड्रन को आधिकारिक रूप से सेवा से विदा कर दिया। 1960 के दशक से वायुसेना की रीढ़ बने इन विमानों ने 1971 के युद्ध से लेकर करगिल, बालाकोट एयरस्ट्राइक और हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तक भारत को निर्णायक बढ़त दिलाई। पर अब ये जेट इतिहास बन चुके हैं। पिछले हफ्ते चंडीगढ़ में आयोजित समारोह में जब वायुसेना प्रमुख ने खुद मिग-21 उड़ाकर अंतिम सलामी दी, तो यह न केवल एक युग का अंत था, बल्कि एचएएल और देश की रक्षा उत्पादन क्षमता की असली परीक्षा की शुरुआत भी।

वायुसेना की अधिकृत शक्ति 42 स्क्वॉड्रन की है, लेकिन फिलहाल यह केवल 29 स्क्वॉड्रन पर निर्भर है। मिग-21 की विदाई के बाद यह कमी और गहरी हो गई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 2021 में 83 तेजस Mk 1A का ऑर्डर मिला था, जिसकी कीमत 47,000 करोड़ रुपये है। लेकिन अब तक कोई डिलीवरी नहीं हुई। योजना के मुताबिक यह आपूर्ति 2024 से 2028 तक पूरी होनी थी। फिलहाल इस साल केवल दो विमान मिलने की संभावना है।

एचएएल की सबसे बड़ी चुनौती GE एयरोस्पेस से इंजन आपूर्ति की है। मार्च 2025 तक केवल तीन इंजन भारत पहुंचे हैं। कंपनी का कहना है कि ढांचा तैयार है, लेकिन इंजन समय पर न आने से डिलीवरी अटक गई है। इस बीच सरकार ने 97 और एलसीए Mk1A का ऑर्डर दिया है, जिसकी लागत 66,500 करोड़ रुपये है। इस तरह एचएएल को अब कुल 180 विमानों का उत्पादन समयबद्ध तरीके से करना होगा।

रणनीतिक स्थिति में देखें तो पाकिस्तान के पास 25 स्क्वॉड्रन हैं और वह चीन से 35–40 जे-35 पांचवीं पीढ़ी के जेट ले रहा है। ऐसे में भारत को अपनी बढ़त बनाए रखना बेहद अहम है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दिखाया कि आधुनिक युद्ध में त्वरित और सटीक वायु हमले किस तरह निर्णायक साबित हो सकते हैं। इस ऑपरेशन में राफाल, सु-30MKI और मिराज-2000 जैसे जेट्स ने पाकिस्तान के अंदर गहरे तक प्रहार किए।

वायुसेना के पास अभी लगभग 270 सु-30MKI, 36 राफाल, मिराज-2000, मिग-29 और जगुआर जैसे विमान हैं। हाल ही में नौसेना के लिए 26 राफाल-एम की खरीद को मंजूरी दी गई है, लेकिन ये 2029 से पहले नहीं आएंगे। भविष्य की बड़ी उम्मीद AMCA प्रोजेक्ट से है—पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर, जिसे DRDO और ADA निजी उद्योग के साथ मिलकर बना रहे हैं। इसके इंजन के लिए फ्रांस की सैफ्रान कंपनी के साथ करार हुआ है, लेकिन सेवा में आने में एक दशक लग सकता है।

इसी पृष्ठभूमि में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने एचएएल से सवाल किया है कि 83 तेजस Mk1A की डिलीवरी अब तक क्यों शुरू नहीं हुई। बेंगलुरु में ‘एरो इंडिया शो’ के दौरान उन्होंने एचएएल के ‘चलता है’ रवैये की खुली आलोचना की और राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंता जताई।

 


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