6000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार, मारक क्षमता 1000 से 1500 किलोमीटर
✍🏻 डिजिटल न्यूज डेस्क, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपने डिफेंस सिस्टम को लगातार अपग्रेड करने की दिशा में तेज़ी दिखाई है। इसी क्रम में डीआरडीओ द्वारा विकसित की जा रही हाइपरसोनिक मिसाइल रुद्रम-4 देश की सैन्य क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी में है। यह मिसाइल हवा से जमीन पर मार करने में सक्षम होगी और इसकी स्पीड 5 मैक (लगभग 6000 किमी प्रति घंटे) से अधिक होगी। इसकी रेंज 1000 से 1500 किलोमीटर तक बताई जा रही है।
रुद्रम-4 को डीआरडीओ की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिना जा रहा है। इसे भारतीय वायुसेना की स्ट्राइक क्षमता को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी सबसे बड़ी ताकत इसकी रफ्तार है, जिससे पारंपरिक रडार और डिफेंस सिस्टम इसे ट्रैक या इंटरसेप्ट नहीं कर सकते। विशेषज्ञों के अनुसार, यह मिसाइल दुश्मन को बहुत ही कम समय में प्रतिक्रिया का मौका देती है, जिससे इसकी हिट-रेट लगभग तय मानी जा रही है।
यह मिसाइल SEAD (Suppression of Enemy Air Defence) और DEAD (Destruction of Enemy Air Defence) ऑपरेशनों में भी उपयोगी होगी। यह दुश्मन के रडार, बंकर और संचार ठिकानों को निशाना बना सकती है। इसमें डुअल-स्पीड हाइब्रिड प्रोपल्शन सिस्टम का प्रयोग किया जाएगा, जिसमें प्रारंभ में सॉलिड रॉकेट बूस्टर और बाद में स्क्रैमजेट या रैमजेट इंजन का इस्तेमाल होगा।
रुद्रम-4 को पहले चरण में सुखोई-30 एमकेआई पर तैनात करने की योजना है। इसके अलावा मिराज-2000 और राफेल जैसे विमानों पर भी इसकी तैनाती की संभावना पर काम हो रहा है। हल्के वजन और आधुनिक नेविगेशन सिस्टम इसे इलेक्ट्रॉनिक जामिंग वाले इलाकों में भी प्रभावी बनाएंगे।
रुद्रम-4 को रुद्रम-III का अगला संस्करण माना जा रहा है। यह भारत को एंटी-रेडिएशन हथियारों से आगे बढ़ाकर हाइपरसोनिक स्ट्राइक क्षमता वाला देश बनाएगा। यह मिसाइल भारत की ब्रह्मोस और भविष्य की ब्रह्मोस-II परियोजना के साथ मिलकर मल्टीलेयर अटैक क्षमता का निर्माण करेगी।