✍🏻 डिजिटल न्यूज डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि नए वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब 20 मई को सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने केंद्र सरकार और याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे 19 मई तक अपने हलफनामे दाखिल करें। इसके साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि 1995 के वक्फ कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने वाली किसी याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वर्तमान में किसी वक्फ संपत्ति को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा और न ही केंद्रीय वक्फ परिषद या राज्य वक्फ बोर्डों में कोई नियुक्ति की जाएगी। कोर्ट ने इस आश्वासन को रिकॉर्ड में दर्ज करते हुए अंतरिम राहत पर विचार के लिए 20 मई की तारीख तय की।
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, जो याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हो रहे हैं, और सॉलिसिटर जनरल मेहता दोनों को सोमवार तक अपने लिखित तर्क दाखिल करने को कहा गया है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल उन याचिकाओं पर सुनवाई होगी जो वक्फ संशोधन अधिनियम, 2023 को चुनौती देती हैं, न कि 1995 के मूल कानून को।
इससे पहले वक्फ कानून में संशोधन के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ कर रही थी, लेकिन उनके सेवानिवृत्त होने के बाद यह मामला नई पीठ के समक्ष आया। कोर्ट में अब तक 70 से अधिक याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं, जिनमें से सिर्फ पांच मुख्य याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना गया है। इनमें एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है।
उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने केंद्र सरकार पर गलत आंकड़े पेश करने का आरोप लगाया और झूठा हलफनामा दाखिल करने वाले अधिकारी पर कार्रवाई की मांग की है।