प्रहरी संवाददाता, मुंबई। महाराष्ट्र में सत्ता की लड़ाई चरम पर पहुंच चुकी है। महाराष्ट्र का अगला सीएम कौन होगा, यह अब तक सस्पेंस बना हुआ है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन वह खुद के बलबूते सरकार नहीं बना सकती। वह बहुमत से 13 नंबर दूर है। इसलिए सहयोगी पार्टी के मुखिया एकनाथ शिंदे और अजित पवार की बैसाखी उसके लिए ज़रूरी है। ऐसे में महायुति में शामिल छोटी पार्टियों को अपने साथ बनाए रखने के अलावा शिंदे की शिवसेना और पवार की एनसीपी को भी साधने की बड़ी चुनौती नए मुख्यमंत्री के सामने है।
पांच दिसंबर को आजाद मैदान में नई सरकार का शपथ ग्रहण होना है, लेकिन उससे पहले चार दिसंबर को मुंबई में बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। इसमें औपचारिक तौर पर नेता का चुनाव होगा। इसी बैठक में राज्य के अगले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा होने की उम्मीद है। इसके बाद महायुति की तरफ से सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा।
विधानसभा चुनाव में महायुति को कुल 236 सीटें मिली हैं। इनमें 132 सीटें बीजेपी, 57 सीटें शिवसेना और 41 सीटें एनसीपी की हैं। ऐसे में नई सरकार में 50:30:20 का फॉर्मूला ही रहने की उम्मीद है।
बीजेपी मुख्यमंत्री के पद के साथ गृह विभाग भी अपने पास रखने पर अडिग दिख रही है। इसकी संभावना बेहद कम है कि वह शिवसेना को यह महत्वपूर्ण विभाग दे दे। अपने पहले कार्यकाल में भी देवेंद्र फडणवीस ने गृह विभाग अपने पास ही रखा था।
शिंदे के साथ या पावर के साथ रहेंगे उनके समर्थक
निवर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भले ही सीएम के पद से मोह त्याग दिया हो, लेकिन वह सरकार में अपनी पावर बरकरार रखना चाहेंगे। इसके लिए वह गृह विभाग की मांग करके अपनी पावर शेयरिंग में अच्छी डील चाहते हैं। उन्होंने अर्बन डेवलपमेंट और स्पीकर के पद की मांग भी की है। अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो मूल शिवसेना से बगावत करने वाले उनके सहयोगियों को हैंडल कर पाना शिंदे को मुमकिन नहीं होगा।
पावर के लिए शिंदे और उनके सहयोगियों ने शिवसेना से जो बगावत की थी, शिंदे के पावर में न रहने पर क्या उनके समर्थक उनके साथ रह पाएंगे? इसलिए पार्टी में फिर से संभावित बगावत को टालने के लिए नई सरकार में एकनाथ शिंदे को अपनी पावर दिखाने की भीi चुनौती है।
उधर, बीजेपी के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती एनसीपी को विभाजित करने वाले अजित पवार हैं। बीजेपी उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगा चुकी है। अजित पवार के साथ देवेंद्र फडणवीस पहले भी सरकार बनाने का जोखिम ले चुके हैं और शपथ ग्रहण भी कर चुके हैं, लेकिन उसकी कड़वी यादें आज भी ताजा होंगी। इसलिए अजित पवार पर बीजेपी भरोसा नहीं कर सकती, लेकिन उनकी पार्टी के अन्य विधायकों को बीजेपी किस तरह हैंडल करती है, यह देखने वाली बात है।