डीएचएफएल बैंक धोखाधड़ी मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की कार्रवाई
मुंबई। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक धोखाधड़ी मामले में डीएचएफएल, पूर्व चेयरमैन कपिल वधावन और धीरज वधावन समेत अन्य आरोपि्यों के खिलाफ नया मामला दर्ज किया है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई में 17 बैंकों
के समूह के साथ 34,615 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में यह केस दर्ज किया गया है। यह एजेंसी की जांच के दायरे में आई अब तक की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी है।
सीबीआई ने 12 ठिकानों की तलाशी ली
अधिकारियों ने बताया कि मामला दर्ज होने के बाद, आरोपियों के मुंबई में 12 ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया गया। इस संबंध में दर्ज प्राथमिकी में एमेरीलिस रियल्टर्स के सुधाकर शेट्टी और आठ अन्य बिल्डर्स भी शामिल है।
अधिकारियों के अनुसार, बैंक ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने वर्ष 2010 से वर्ष 2018 के बीच बैंकों के समूह से 42,871 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा प्राप्त की थी।
मई 2019 से डीएचएफएल व अन्य ने ऋण चुकाने में चूक करना शुरू कर दिया। ऋण देने वाले बैंकों की तरफ से कंपनी के खातों को अलग-अलग समय पर गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित किया गया था।
जनवरी 2019 में जांच शुरू हुई
जनवरी 2019 में जांच शुरू होने के बाद फरवरी 2019 में ऋणदाताओं की समिति की एक बैठक में केपीएमजी को एक अप्रैल 2015 से 31 दिसंबर 2018 तक डीएचएफएल की विशेष समीक्षा ऑडिट करने के लिए नियुक्त किया था।
ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि डीएचएफएल प्रवर्तकों के साथ अन्य 66 संस्थाओं को 29,100.33 करोड़ रुपये का लोन वितरित किया गया था। इसमें से 29,849 करोड़ रुपये चुकाए नहीं गए है।।