डिजिटल न्यूज डेस्क, मुंबई। आर्थिक तंगी के बीच महाराष्ट्र सरकार 50 लाख महिलाओं को ‘मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना’ से बाहर करने की योजना बना रही है। इससे सरकार 750 करोड़ रुपए की बचत करेगी। योजना से वंचित होने के डर से महिलाओं का कहना है कि लाडकी बहिन योजना के बल पर सत्ता में वापसी करने वाली महायुति सरकार अब अपने वादे से मुकर रही है। हम झांसे में आ गए।
बता दें कि इस योजना के तहत शुरुआत में 2.46 करोड़ लाभार्थी थे, जिससे सरकार की तिजोरी पर लगभग 3700 करोड़ यानी 3690,00,00,000 रुपये का भारी भरकम बोझा हर महीने पड़ रहा है। पिछले छह महीनों में, इस योजना को लागू करने के लिए राज्य सरकार को लगभग 22,000 करोड़ रुपये यानी 22140,00,00,000 रुपए का प्रावधान करना पड़ा है, जिससे अन्य महत्वपूर्ण विकास योजनाओं की फंडिंग प्रभावित हुई है।
महाराष्ट्र के दोनों उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार ने ‘मुख्यमंत्री लाड़की बहिन योजना’ की शुरुआत से ही समर्थन कर रहे थे और विधानसभा चुनावों में महायुति गठबंधन की जीत के बाद तो खुलकर इस योजना की प्रशंसा की थी।
शिंदे-पवार ने इसे ‘परिवर्तनकारी’ बताया था
पूर्व मुख्यमंत्री शिंदे ने इस योजना को महिलाओं की ‘वित्तीय स्वतंत्रता की दिशा में एक कदम’ करार दिया था, जबकि उप मुख्यमंत्री पवार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के उत्थान की दिशा में इस योजना का समर्थन किया था। विधानसभा चुनावों के बाद, दोनों नेताओं ने इस योजना की सफलता की सराहना की, और इसका श्रेय सामाजिक कल्याण और महिला सशक्तीकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दिया। हालांकि सत्ता पलटने के बाद इस योजना के लाभार्थियों की समीक्षा करने के निर्देश नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिए हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने अपात्र लोगों पर शिकंजा कसा
अपात्र लाभार्थियों की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार ने आयकर विभाग की मदद से वित्तीय स्थिति की जांच शुरू कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार, अब तक करीब 9 लाख महिलाओं को इस योजना से बाहर किया जा चुका है और कुल 50 लाख लाभार्थियों को अयोग्य घोषित करने का लक्ष्य है। इस कदम से राज्य सरकार को सालाना 1,620 करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है।
जनवरी में, सरकार की कड़ी जांच से लाभार्थियों की संख्या 5 लाख कम हो गई, जिससे लगभग 75 करोड़ रुपये की बचत हुई है। फरवरी में, अन्य 4 लाख महिलाओं को भी योजना से बाहर कर दिया गया, जिससे 60 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बचत हुई है।
फिलहाल सरकार का मुख्य प्राथमिक ध्यान पीले और नारंगी राशन कार्ड वाले और नमो शेतकारी सम्मान निधि के तहत आनेवाली महिला लाभार्थियों पर है। उसके बाद अन्य अपात्र महिलाओं की स्क्रूटनी की जाएगी। इससे पात्र लाभार्थियों की संख्या में काफी गिरावट आएगी।