खाद्य अधिकार अभियान ने सरकार की आलोचना की
प्रहरी संवाददाता, मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने स्कूल के मध्याह्न भोजन से अंडा और नाचनी यानी रागी को बाहर करने का निर्णय लिया है। सरकार ने 28 जनवरी 2025 को इस संदर्भ में सरकारी संकल्प (जीआर) जारी किया था। हालांकि इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है।
खाद्य अधिकार अभियान ने भाजपा नीत सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए जीआर को तत्काल रद्द करने की मांग की है। अभियान की संयोजक उल्का महाजन, मुक्ता श्रीवास्तव और दीपिका साहनी ने कहा कि इस फैसले से राज्य के लगभग 95 लाख विद्यार्थियों की पोषण सुरक्षा को खतरा है।
अन्ना अधिकार अभियान के अनुसार, महंगाई के कारण कई परिवार अंडे नहीं खरीद सकते, इसलिए स्कूल में दिए जाने वाले अंडे गरीब और हाशिए पर रहने वाले छात्रों के लिए पोषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। सरकार द्वारा इस प्रावधान को खत्म करना बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है।
बता दें कि 2024 ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 127 देशों में से 105वें स्थान पर है। देश में कुपोषण, शिशु मृत्यु दर और तपेदिक जैसी समस्याएं गंभीर हैं। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला और भी चिंताजनक है, यह टिप्पणी खाद्य अधिकार अभियान ने की है।
अभियान का कहना है कि अन्य राज्य पोषण में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन महाराष्ट्र इस मामले में पिछड़ रहा है। फरवरी 2023 में लोकसभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के 14 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने स्वयं के फंड से छात्रों को दूध, अंडे और फल प्रदान करते हैं। आंध्र प्रदेश में सप्ताह में 5 दिन अंडे परोसे जाते हैं। तमिलनाडु और कर्नाटक में अंडे की सप्लाई हफ्ते में 6 दिन होती है. कुछ अन्य राज्यों में सप्ताह में 2 से 3 बार अंडे की आपूर्ति करने की योजना है।