जयपुर। राजस्थान में शुरू राजनीतिक घटना क्रम के बीच राज्यपाल कलराज मिश्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राहत देते हुए विधानसभा सत्र बुलाने इजाज़त दे दी है। सोमवार को लिखे अपने पत्र में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के सामने कई शर्त भी रखी है, जिसका पालन करते हुए ही विधानसभा का सत्र बुलाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को राज्यपाल कलराज मिश्र ने दूसरी बार लौटा दिया था।
21 दिन में पूरा हो सत्र
राज्यपाल ने कहा है कि विधानसभा सत्र 21 दिन की समयसीमा में आहूत किया जाए। सत्र के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जाए। बहुमत परीक्षण हो तो उसका लाइव प्रसारण भी करना जरूरी है। सत्र दौरान सभी को सामान मौके दिए जाएं। ऑनलाइन के माध्यम से सत्र बुलाया जाए।
सरकार से किए सवाल
इसके साथ राज्यपाल ने सरकार से पूछा है कि विधानसभा सत्र के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किस प्रकार किया जाएगा। क्या कोई ऐसी व्यवस्था है जिसमें 200 विधायकों के अलावा 1000 से अधिक अधिकारी और कर्मचारियों को एकत्रित करने पर कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई खतरा न हो। अगर किसी को संक्रमण हुआ तो उसे कैसे रोका जाएगा?
कांग्रेस ने लगाया था आरोप
इससे पहले कांग्रेस विधायकों ने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की अपील की थी। कॉंग्रेस ने आरोप लगाया कि बिना केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर राज्यपाल संविधान की घोर अवहेलना नहीं कर सकते। राजस्थान के राज्यपाल की ओर से विधानसभा का सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दिए जाने के बाद राष्ट्रपति से हस्तपेक्ष करने एवं राज्य सरकार को विधानसभा का सत्र आहूत करने की अनुमति दिलाने की अपील की गई थी।
संविधान के साथ खिलवाड़
कॉंग्रेस ने आरोप लगाया कि विधायकों की खरीद फरोख्त करके एवं अन्य भ्रष्ट आचरण के माध्यम से लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई राज्य सरकारों को अपदस्थ करने का काम भाजपा कर रही है। भाजपा नेताओं के कुत्सित प्रयास न सिर्फ देश के लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं, बल्कि देश के संविधान की धज्जियां भी उड़ा रहे हैं।