टैक्स से जुड़े सख्त नियम से देश छोड़ रहे हैं अरबपति
मुंबई। देश के करीब आठ हजार करोड़पति इस साल विदेशों में बसने की तैयारी (मिलेनियर्स माइग्रेशन फ्रॉम इंडिया) में हैं। दुनिया के सबसे ज्यादा विदेशी यूएई में बसने जा रहे हैं। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, इजराइल और स्विटजरलैंड में भी अरबपतियों का माइग्रेशन हो रहा है।
ब्रिटेन की एक रिसर्च कंपनी के हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारत से अमीरों के पलायन की मुख्य वजह टैक्स से जुड़े सख्त नियम हैं। बेहतर लाइफस्टाइल, एजुकेशन और हेल्थ सर्विसेज के कारण भी कई अमीर भारतीय दूसरे देशों को अपना आशियाना बनाने की तैयारी में हैं। भारतीय युवा भी दूसरे देशों में बिजनेस और निवेश की संभावनाएं तलाश रहे हैं। युवा उद्यमियों में रिस्क लेने की भूख बढ़ी है।
हेनले ग्लोबल सिटीजन्स रिपोर्ट 2022 में दुनियाभर में प्राइवेट वेल्थ और इनवेस्टमेंट माइग्रेशन के ट्रेंड्स को शामिल किया गया है। भारत में जनरल वेल्थ प्रोजेक्शंस बहुत स्ट्रॉन्ग है। वर्ष 2031 तक देश में करोड़पतियों की संख्या में 80 फीसदी की ग्रोथ होने की उम्मीद है। इस दौरान भारत सबसे अधिक तेजी से बढ़नेवाले वेल्थ मार्केट्स में शामिल रहेगा। देश में खासकर फाइनेंशियल सर्विसेज, हेल्थकेयर और टेक्नोलॉजी सेक्टर में बहुत तेजी आएगी।
नए आशियाने की तलाश
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पुरानी पीढ़ी के उद्योगपति अपनी जगह डटे हुए हैं, लेकिन नई पीढ़ी के युवा टेक्नोक्रेट अपने बिजनस को डाइवर्सिफाई करना चाहते हैं। वे ऐसे देशों में अपना पैसा निवेश करना चाहते हैं, जहां उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुनाफा मिल सके और कम टैक्स देना पड़े। भारतीय अब यूरोपीय देशों, दुबई और सिंगापुर में बस रहे हैं। डिजिटल उद्यमियों के लिए सिंगापुर पसंदीदा जगह है। दुबई का गोल्डन वीजा भी भारतीयों को लुभा रहा है।