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रुपये के मूल्य में रिकॉर्ड गिरावट, देश में बढ़ सकती है महंगाई

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नई दिल्ली, 05 जनवरी 2025। रुपये की विनिमय दर में आ रही गिरावट के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि घरेलू मुद्रा के मूल्य में गिरावट से आयातित कच्चे माल के महंगा होने से उत्पादन लागत बढ़ेगी और कुल मिलाकर देश में महंगाई बढ़ सकती है, जिससे आम लोगों की जेब पर प्रभाव पड़ेगा। पिछले साल रुपये को 84 डॉलर से 85.75 डॉलर के स्तर को पार करने में सिर्फ दो महीने लगे, जबकि जनवरी-अक्टूबर 2024 में यह 83-84 के स्तर पर सीमित दायरे में रहा था। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि बीते वर्ष रुपये में लगभग तीन प्रतिशत की गिरावट के बावजूद यह एशिया के अपने समकक्ष देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के कारण, भारत की मुद्रास्फीति पर बहुत प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।

उल्लेखनीय है कि डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में कमी के कारण आम लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर विशेषज्ञ कहते हैं, ‘रुपये के मूल्य में गिरावट आयातित मुद्रास्फीति से चीजें महंगी होंगी। हालांकि, अगर इससे निर्यात को गति मिलती है, तब आर्थिक वृद्धि और रोजगार पर सकारात्मक असर पड़ सकता है। यदि रुपये में गिरावट बाजार की मांग और आपूर्ति के कारण होती है, तो उत्पादन वृद्धि और महंगाई दोनों बढ़ेंगे।’

गौरतलब है कि देश का चालू खाते का घाटा लगातार बढ़ रहा है। नवंबर 2024 तक यह 37.8 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया। नवंबर से ही एफआईआई की पूंजी निकासी और डॉलर की मजबूती ने रुपये पर अतिरिक्त दबाव डाला और वर्ष के अंत तक रुपये में तेज गिरावट देखी गई। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर में कमी ने भी रुपये के लिए मुश्किलें बढ़ाई हैं।


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