मुंबई। भारतीय दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने कहा है कि 24 मार्च को नई कार्रवाई को लेकर निलंबन अवधि समाप्त होने के बाद से दिवाला कानून के तहत कर्ज में फंसी संपत्तियों के समाधान को लेकर लगभग 200 आवेदन मिले हैं।
बता दें कि कोरोना वायरस महामारी के बीच आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने के चलते दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत कुछ प्रावधानों को 25 मार्च 2020 से एक साल तक के लिए निलंबित कर दिया गया था। निलंबन की अवधि खत्म होने के बाद दाखिल हुए नए दिवाला मामलों के बारे में आईबीबीआई के अध्यक्ष एम. एस. साहू ने कहा कि दिवालियापन की कार्रवाई न हो, इसके लिए न्यूनतम सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ रुपये करने और कई तरह के समर्थन के चलते आवेदनों की संख्या सीमित हुई है। निलंबन अवधि के दौरान आईबीसी के तहत नई कार्यवाही की अनुमति नहीं थी।
आईबीबीआई दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता को लागू करने वाला प्रमुख संस्थान है। साहू ने कहा,‘खास बात यह है कि जब समाधान की संभावना अधिक होती है, तो हितधारक संहिता का उपयोग करना पसंद करते हैं। चूंकि, बाजार और अर्थव्यवस्था अपने सबसे अच्छे समय में नहीं हैं, इसलिए हितधारक संहिता का उपयोग करने के लिए उचित समय का इंतजार कर रहे हैं।’

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