✍🏻 डिजिटल न्यूज डेस्क, पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चाएं अंतिम दौर में हैं। सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के बीच सहमति लगभग बन चुकी है। कांग्रेस 2020 की तरह 70 सीटें मांग रही थी, लेकिन आरजेडी उसे 50-55 सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं थी। अब माना जा रहा है कि कांग्रेस 58-60 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।
2020 में महागठबंधन का सीट बंटवारा
बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में 2020 में आरजेडी ने 144, कांग्रेस ने 70 और वामदलों ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था। आरजेडी को 75 सीटों पर जीत मिली थी और वह सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। कांग्रेस को 19 सीटों पर सफलता मिली थी। सीपीआई (माले) ने 19 में से 12 सीटें जीतकर मजबूत उपस्थिति दर्ज की थी।
इस बार आरजेडी-कांग्रेस की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, इस बार आरजेडी करीब 135-140 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि कांग्रेस को कम सीटें इसलिए दी जा रही हैं क्योंकि महागठबंधन में नए दलों को भी जोड़ा जा रहा है।
महागठबंधन में नए चेहरे
इस बार महागठबंधन में मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) भी शामिल है, जो 60 सीटें मांग रही है। हालांकि, उन्हें 12 से ज्यादा सीटें मिलने की संभावना नहीं है। पशुपति कुमार पारस की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को भी गठबंधन में शामिल किया जा सकता है, जिसे 2-3 सीटें दी जा सकती हैं।
वाम दलों की मांग
वामपंथी दलों ने सीमांचल और ग्रामीण इलाकों में अपने मजबूत आधार के चलते ज्यादा सीटों की मांग की है। 2020 के विधानसभा चुनावों में उनके प्रदर्शन के अलावा, 2024 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी।
ओवैसी की नजर
इस बीच, सीमांचल क्षेत्र में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की नजर बनी हुई है। 2020 में उनकी पार्टी ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार उनके चुनावी रणनीति को लेकर भी निगरानी रखी जा रही है।