- जम्मू-कश्मीर में 2014 से 2025 तक की रिपोर्ट
- घाटी से हटकर अब जम्मू बना आतंकियों का नया गढ़
- किश्तवाड़ की बर्फीली मुठभेड़ ने खोली सुरक्षा व्यवस्था की परतें
- ड्रोन-ड्रॉप, हिट-एंड-रन हमलों में इज़ाफा
श्रीनगर/नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में आतंक का चेहरा फिर बदल रहा है। किश्तवाड़ की बर्फीली पहाड़ियों में आतंकियों के साथ सेना की एक बड़ी मुठभेड़ हुई. सेना ने एक आतंकी को मार गिराया। लेकिन ये सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि पिछले एक दशक से जारी आतंकी लड़ाई का नया अध्याय है। साल 2014 से 2025 के बीच करीब 3,000 आतंकी हमले, 650 से ज्यादा जवानों की शहादत और 1,800 आतंकियों का सफाया किया जा चुका है. ये आंकड़े बताते हैं कि जंग अब भी जारी है।
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जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले की 3,000 मीटर ऊँची बर्फीली पहाड़ियों पर चलाए गए ताज़ा ऑपरेशन में भारतीय सेना ने एक आतंकी को ढेर कर दिया। घने जंगलों और माइनस तापमान में चला यह अभियान 2025 में अब तक का सबसे हाई-ऑल्टिट्यूड मुठभेड़ ऑपरेशन माना जा रहा है। सेना का तलाशी अभियान जारी है, जो क्षेत्र में सक्रिय आतंकी नेटवर्क की मौजूदगी की पुष्टि करता है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की रणनीति और भूगोल दोनों तेजी से बदल रहे हैं। सुरक्षाबल एक ओर जहां आधुनिक तकनीकों और सटीक ऑपरेशनों के माध्यम से मोर्चा संभाले हुए हैं, वहीं आतंकी भी नए-नए तरीके अपना रहे हैं।
2014 से 2025 तक का सुरक्षा विश्लेषण:
इस एक दशक के दौरान जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों की संख्या 2,800 से 3,000 के बीच दर्ज की गई। सुरक्षाबलों के 600 से 650 जवानों ने देश के लिए बलिदान दिया, जबकि करीब 1,750 से 1,850 आतंकियों को मार गिराया गया। वहीं, 600 से 800 आतंकी और उनके सहयोगी गिरफ्तार किए गए हैं।
आतंकी हमलों का वार्षिक ट्रेंड:
2014 में कुल 222 हमले हुए थे, जो 2016 तक बढ़कर 322 हो गए। उरी हमले (2016) और पुलवामा हमले (2019) जैसे बड़े हमलों ने आतंकी गतिविधियों के गहराते खतरे को उजागर किया। 2018 में आतंकी घटनाएं चरम पर थीं, जब 614 हमले दर्ज किए गए। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद 2019 से आतंकी घटनाओं में थोड़ी गिरावट आई. वर्ष 2019 में 255, वर्ष 2020 में 244, वर्ष 2021 में 229 और वर्ष 2022 में 242 आतंकी हमले हुए। लेकिन जम्मू क्षेत्र में अब खतरा बढ़ा है। वर्ष 2023 में जनवरी से जून तक जम्मू में 29 और वर्ष 2024 में जनवरी से जुलाई तक 12 से अधिक आतंकी हमले हुए। वर्ष 2025 में किश्तवाड़ और डोडा में अब तक 50 से 70 हमलों की पुष्टि हुई है।
शहादत के आंकड़े:
इस दौरान 600 से अधिक जवान शहीद हुए। 2016 में सबसे अधिक 82 जवान बलिदान हुए। पुलवामा (2019) में सीआरपीएफ के 44 जवानों की शहादत ने देश को झकझोरा। 2023 की अनंतनाग मुठभेड़ में एक कर्नल, मेजर और डीएसपी समेत 30-35 जवानों की मौत हुई। 2024 और 2025 में भी डोडा और किश्तवाड़ क्षेत्र में कई जवान शहीद हुए।
सक्रिय कार्रवाई और रणनीति:
सुरक्षा बलों ने 2018 में सर्वाधिक 257 आतंकियों को मार गिराया। 2020 में यह संख्या 225 थी। 2023-24 में विदेशी आतंकियों की संख्या बढ़ने की पुष्टि हुई, जिनमें से 60% को मार गिराया गया। 2025 में किश्तवाड़ में 5-10 आतंकियों के मारे जाने की सूचना है। NIA ने 2023 में 32 आतंकी फंडिंग मामलों का खुलासा किया, जिससे आतंकी नेटवर्क की कमर तोड़ने में मदद मिली।
नई आतंकी रणनीति:
पिछले वर्षों में आतंकियों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। कश्मीर में स्थानीय भर्ती में गिरावट आई है, लेकिन जम्मू क्षेत्र में हिट-एंड-रन हमले, ड्रोन ड्रॉप्स और सीमावर्ती इलाकों में गतिविधियाँ बढ़ी हैं। सुरक्षा बलों ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए रीयल-टाइम ड्रोन सर्विलांस, स्मार्ट फेंसिंग और सिग्नल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों को सक्रिय रूप से तैनात किया है।
जमीन पर हालात:
किश्तवाड़, डोडा और पुंछ जैसे दुर्गम क्षेत्रों में घने जंगल, ऊँचाई और मौसम सुरक्षाबलों के लिए चुनौती बने हुए हैं। इन क्षेत्रों में सेना ने जंगल युद्ध प्रशिक्षण और स्थानीय खुफिया तंत्र को मज़बूत किया है।
प्रमुख घटनाएं:
– 2014: 47 जवान शहीद
– 2015: 39 जवान शहीद
– 2016: 82 जवान शहीद
– 2017: 80 जवान शहीद
– 2018: 91 जवान शहीद
– 2019: 80 जवान शहीद (पुलवामा हमले में 44 सहित)
– 2020: 62 जवान शहीद
– 2021: 42 जवान शहीद
– 2022: 31 जवान शहीद
– 2023: 30-35 जवान शहीद (अनंतनाग में 3 वरिष्ठ अधिकारी सहित)
– 2024: जनवरी से जुलाई तक 14 जवान शहीद (डोडा और अन्य हमलों में)
– 2025: किश्तवाड़ और अन्य मुठभेड़ों में अभी तक 3-5 जवानों के शहीद होने की संभावना (सटीक आंकड़े अपुष्ट)।
2014-2018: इस अवधि में कुल 1,708 आतंकी हमले दर्ज किए गए, औसतन प्रति माह 28 हमले।
– 2014: 222 घटनाएं
– 2015: 208 घटनाएं
– 2016: 322 घटनाएं (54.8% की वृद्धि)
– 2017: 342 घटनाएं (6% की वृद्धि)
– 2018: 614 घटनाएं (79.53% की वृद्धि)
– 2019: 255 घटनाएं
– 2020: 244 घटनाएं
– 2021: 229 घटनाएं
– 2022: 242 घटनाएं
– 2023: जनवरी से जून तक जम्मू क्षेत्र में 29 घटनाएं दर्ज की गईं।